देहरादून। 38वें राष्ट्रीय खेलों ने देशभर के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का शानदार मंच दिया और साथ ही युवाओं में खेलों के प्रति नया जोश और उमंग भी भरी। इस आयोजन ने न केवल प्रतियोगिता का माहौल बनाया, बल्कि देशभर के युवाओं को खेलों को पेशेवर करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया।
युवाओं में बढ़ी खेलों की रुचि
देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी जैसे शहरों में आयोजित खेल स्पर्धाओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में युवा पहुंचे। पहली बार इतने बड़े स्तर की प्रतियोगिता देखने वाले कई युवा अब खुद भी खेलों में करियर बनाने का सपना देख रहे हैं। देहरादून के 17 वर्षीय आदित्य ने कहा, “मैंने पहली बार इतने बड़े खिलाड़ियों को सामने खेलते देखा। अब मैं भी अपने राज्य और देश के लिए पदक जीतना चाहता हूं।”
खेल संस्कृति को मिला बढ़ावा
उत्तराखंड सरकार और खेल मंत्रालय ने इस आयोजन से स्थानीय स्तर पर खेल संस्कृति को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया। जहां पहले खेलों को सिर्फ शौक के रूप में देखा जाता था, वहीं अब छात्र और युवा इसे एक पेशेवर करियर विकल्प के रूप में अपनाने की सोच रहे हैं।
खेलों में भारत का उज्ज्वल भविष्य
38वें राष्ट्रीय खेलों ने खेलों को उत्सव की तरह मनाने का मौका दिया, साथ ही यह आयोजन युवाओं को खेलों से जोड़ने का एक प्रभावी माध्यम बना। खेलों के प्रति बढ़ता रुझान और सरकार की ओर से दी जा रही सुविधाएं यह संकेत देती हैं कि खेलों में भारत का भविष्य उज्ज्वल है और आने वाले समय में देश के युवा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम रोशन करेंगे।