पिथौरागढ़ (उत्तराखंड): पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ के गांवों में रहने वाले बच्चों के लिए मानसून में स्कूल जाना बहुत जोखिम भरा है। जिले के आपदा संभावित क्षेत्रों में नदियों और नालों पर बने पुल भारी बारिश के बाद अक्सर बह जाते हैं जिससे बच्चों का स्कूल जाना लगभग असंभव हो जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस समय जो भी स्कूल जाने का निर्णय लेता है उसे उफनते हुए नदी नालों से होकर गुजरने में अपने जीवन का जोखिम उठाना पड़ता है।
कुमती गांव की ग्राम प्रधान मुन्नी देवी ने कहा, ”पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी सब डिवीजन के तीन गांवों में रहने वाले कम से कम 50 बच्चों की यही कहानी है। अपनी जान को जोखिम में डाले बिना वे स्कूल नहीं जा सकते क्योंकि घुरूरी-मनकोट मार्ग पर भेरीगाड और भ्यूला नाला पर बने अस्थाई लकड़ी के पुल पिछले साल आयी तेज बारिश में बह गए।”
देवी ने कहा कि उन्होंने बंगापानी के उपजिलाधिकारी को पत्र लिखकर लकड़ी के पुलों को जल्द से जल्द दोबारा बनाने का आग्रह किया था ताकि बच्चों का स्कूल जाना फिर शुरू हो सके। हालांकि, अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
मुनस्यारी सब डिवीजन के चेटी, चिमला और पावाधार गांवों के 14 बच्चों की कहानी भी इनसे जुदा नहीं है। स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल जाने के लिए बच्चों को छोटी नदी के बाद गोरी नदी को पार करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने गोरी नदी पर एक ट्रॉली लगवा दी है लेकिन वहां किसी की तैनाती नहीं की गयी है और उसे लोगों के भरोसे छोड़ दिया गया है।
जिले के आपदा संभावित धारचूला सब डिवीजन में धार, बजानी, बसीधार, सीपलथोर और मल्लाधुरा गांवों के राजकीय इंटर कॉलेज खुमटी में पढने वाले 60 से अधिक बच्चे भी छह जुलाई से स्कूल नहीं गए हैं। खुमटीगोड नाले पर कोई पुल नहीं है और उसके अभाव में वहां जाना बहुत जोखिम भरा हो सकता है।
खुमटी गांव के पूर्व ग्राम प्रधान गोपाल सिंह धामी ने कहा, ”हमने अभिभावकों को सलाह दी है कि वे मानसून के महीनों में अपने बच्चों को तब तक स्कूल न भेजे जब तक कि वहां पुल न बन जाए।” उन्होंने कहा कि लकड़ी का पुल अगर नहीं बना तो जल्द ही संकट और बढ़ सकता है क्योंकि ग्रामीणों को राशन की कमी भी हो रही है।
पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी आशीष चौहान ने कहा कि उन्होंने मुख्य शिक्षा अधिकारी को उन क्षेत्रों के लिए कार्ययोजना बनाने को कहा है जहां बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए नदी-नाले पार करने को मजबूर होना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों को सभी ट्रॉलियों पर होमगार्ड जवानों की तैनाती करने को कहा गया है ताकि वे बच्चों को नदी-नालों के दूसरी तरफ सुरक्षित रूप से पहुंचने में मदद कर सकें।
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