रेनबो न्यूज़ इंडिया* 12 जुलाई 2022
पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ शहर में कृष्णानंद उप्रेती राजकीय इंटर कॉलेज की जमीन पर इंजीनियरिंग कॉलेज का परिसर स्थापित करने का विरोध कर रही स्थानीय जनता के समर्थन में राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर उनसे मामले में हस्तक्षेप करने को कहा।
अपने पत्र में आर्य ने मुख्यमंत्री से कहा कि वह केएन उप्रेती राजकीय इंटर कॉलेज की जमीन किसी अन्य संस्था को न देने तथा सरकार द्वारा आजादी के 75 वें साल में चलाए जा रहे अमृत महोत्सव में कॉलेज को सुरक्षा प्रदान करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश दें ताकि पिथौरागढ़ की इस ‘धरोहर’ बरकरार रखा जा सके।
इससे पहले, पिथौरागढ़ के कांग्रेस विधायक मयूख महर, पिथौरागढ जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोहरा और आसपास के क्षेत्र में स्थित 15 से ज्यादा ग्राम पंचायतें भी राज्य सरकार से शहर के पास स्थित क्षेत्र के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी कृष्णा नंद उप्रेती के नाम पर बने कॉलेज की जमीन को सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज के परिसर के निर्माण के लिए नहीं देने का अनुरोध कर चुकी हैं।इस संबंध में पंचायत पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान को भी पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया है।
केएन उप्रेती के पौत्र राजेश मोहन उप्रेती ने बताया कि क्षेत्र में पहला हाईस्कूल स्थापित करने के लिए कृष्णा नंद उप्रेती ने स्वयं प्रयास कर म्यांमा में बस गये जिले के व्यापारियों से 60 हजार रुपये इकट्ठा किए थे और अन्य स्वयंसेवियों के साथ मिलकर स्थानीय ग्रामीणों से जमीन लेकर इसे बनाया था।
राजेश मोहन ने आरोप लगाया कि राजकीय इंटर कॉलेज की जमीन पर इंजीनियरिंग कॉलेज का परिसर स्थापित करना क्षेत्र के विख्यात स्वतंत्रता सेनानी के योगदान और उनसे जुडी यादों को मद्धिम करने का प्रयास है।उन्होंने कहा, ‘‘ अगर इंटर कॉलेज के परिसर में कोई और साइनबोर्ड लगाया जाएगा, तो इससे प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी की यादें धूमिल ही होंगी।’’
इस संबंध में पूछे जाने पर जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार जुकरिया ने बताया कि राजकीय इंटर कॉलेज के पास उपलब्ध कुल 9.25 एकड जमीन में से 2.15 एकड भूमि लेकर उस पर इंजीनियरिंग कॉलेज का परिसर बनाने का प्रस्ताव पिथौरागढ के जिलाधिकारी द्वारा राज्य सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है।हांलांकि, उन्होंने कहा, ‘‘इस पर सरकार से मंजूरी की अभी प्रतीक्षा है।’’
इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि सरकार इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए मड़धूरा गांव में पहले ही 4.2 हेक्टेयर भूमि स्वीकृत कर चुकी है और इस पर 1419.25 लाख रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं।
हुरेती गांव के रहने वाले जनार्दन उप्रेती ने कहा, ‘‘अगर केएन उप्रेती इंटर कॉलेज में इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण के लिए फिर धनराशि स्वीकृत की जाती है, तो यह सरकारी धन का दुरूपयोग होगा।’’इस संबंध में जिला प्रशासन ने कहा कि मड़धूरा गांव के शहर से पांच किलोमीटर दूर जंगल में स्थित होने के कारण छात्रों खासतौर पर लडकियों का वहां तक पहुंचना व्यवहारिक नहीं होगा।जिलाधिकारी आशीष चौहान ने कहा, ‘‘ इंजीनियरिंग कॉलेज को शहर में ही उपयुक्त स्थान पर बनाने का प्रस्ताव छात्रों के अभिभावकों ने ही दिया था।’’
वर्ष 1926 में पिथौरागढ़ हाईस्कूल के रूप में स्थापित विद्यालय का नाम 1937 में किंग जार्ज षष्ठम कोरोनेशन हाईस्कूल, पिथौरागढ़ रख दिया गया।
कॉलेज के सेवानिवृत्त शिक्षक पदमादत्त पंत ने बताया, ‘‘ निजी तौर पर खोले गए हाईस्कूल का प्रबंधन उपजिलाधिकारी तथा शहर के प्रबुद्ध नागरिकों की एक प्रबंध समिति किया करती थी।’’
उन्होंने बताया कि 1945 में विद्यालय को सरकारी हाईस्कूल बना दिया गया जो 1951 में इंटरमीडिएट कॉलेज में बदल गया। पंत ने कहा कि यह जिले का पहला हाईस्कूल और बाद में पहला इंटर कॉलेज था। उन्होंने बताया कि पूर्व में इसे पिथौरागढ़ राजकीय इंटर कॉलेज के नाम से जाना जाता था, लेकिन नारायण दत्त तिवारी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में करीब डेढ़ दशक पहले इसका नाम केएन उप्रेती इंटर कॉलेज कर दिया गया।
वर्तमान में कॉलेज के प्रधानाचार्य गोविंद सिंह पोखरा ने कहा कि कॉलेज के पास उपलब्ध भूमि में से अगर 2.15 एकड़ भूमि कम भी हो जाती है, तो उससे कॉलेज को कोई फर्क नहीं पडे़गा और उसके पास फिर भी पर्याप्त जमीन रहेगी।उन्होंने कहा, ‘‘ वैसे भी भूमि का वह हिस्सा लिया जा रहा है जो हमारे लिए किसी उपयोग का नहीं है।’
राज्य विधानसभा के पिछले सत्र में भी महर ने यह मुददा उठाया था, जिसके जवाब में तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा था कि इस मामले में निर्णय पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी की रिपोर्ट और स्थानीय लोगों के सुझावों के आधार पर लिया जाएगा।
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