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Himalaya Day: “स्थायी हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र” पर ग्राफ़िक एरा में राष्ट्रीय सम्मेलन

Himalaya Day: “स्थायी हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र” पर ग्राफ़िक एरा में राष्ट्रीय सम्मेलन

रेनबो न्यूज़, 9 सितम्बर 2023 ।  9 सितंबर को ग्राफिक एरा  देहरादून में हिमालय दिवस, 2023 मनाया। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, माइक्रोबायोलॉजी विभाग एवं खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। 

आयोजित “सस्टेनिंग हिमालयी इकोसिस्टम” – राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि श्रीमती रुचि मोहन रयाल, आईएएस, अपर आयुक्त/अपर सचिव, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग, उत्तराखंड सरकार रही। 

तकनीकी सत्रों के विशिष्ट वक्ता डॉ. एस. एस. रावत, वैज्ञानिक, हाइड्रोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन डिवीजन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रूड़की, और प्रो. (डॉ.) ज्योति मारवाह, प्रबंध निदेशक, मसूरी फ्रेगरेंस एंड फ्लेवर्स इंस्टीट्यूट और हाई एल्टीट्यूड वेलनेस सेंटर रहे। 

सम्मेलन में विभिन्न संस्थानों से कुल 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया और सम्मेलन के विषयों पर आधारित पोस्टर और मौखिक प्रस्तुतियों के रूप में अपने शोध पर चर्चा की। कार्यक्रम की शुरुआत सुंदर सरस्वती वंदना और लाइफ साइंस की डीन, प्रो. (डॉ.) प्रीति कृष्णा के स्वागत भाषण के साथ हुई। 

प्रो. (डॉ.) नरपिंदर सिंह, कुलपति ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने उद्घाटन भाषण दिया।  जिसमें उन्होंने बढ़ते पर्यटन और जनसंख्या के कारण हिमालयी क्षेत्र की गिरावट के बारे में बात की। 

श्रीमती रुचि मोहन रयाल ने अपने मुख्य भाषण में हिमालय पर्वत प्रणाली के महत्व और प्रभाव के बारे में बात की, जो हमारे वर्तमान जीवन के हर पहलू को छूती है। उन्होंने कहा कि विकास के पहलू को रोकना असंभव है लेकिन सभी विकास गतिविधियों को सख्ती से विनियमित किया जाना चाहिए। 

डॉ. एस.एस.रावत ने अपने व्याख्यान में हिमालयी क्षेत्रों के प्राकृतिक झरनों के संरक्षण और पुनरुद्धार पर जोर दिया। प्रो. (डॉ.) ज्योति मारवाह ने पहाड़ी क्षेत्रों में विभिन्न संरक्षण रणनीतियों और आय सृजन की संभावनाओं पर चर्चा की।

आयोजन समिति के सदस्यों और छात्रों की टीमों द्वारा विकसित दो नवीन उत्पादों को भी सम्मेलन के मंच से लॉन्च किया गया। उत्पादों में पहला – ज्वार और उत्तराखंड के पारंपरिक पेय, पखोई से बने कैनोई-सोरपोई कुकीज़ से विकसित किया गया है। दूसरा अपशिष्ट-से-मूल्य उत्पाद एक कॉलोनी काउंटर था, जिसे अपशिष्ट उत्पादों का उपयोग करके विकसित किया गया है।

राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजक समिति के सदस्यों ने प्रोफेसर (डॉ.) कमल घनशाला, अध्यक्ष ग्राफ़िक एरा ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स के निरंतर प्रेरणा और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया ।

इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) नरपिंदर सिंह, कुलपति, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी: प्रो. (डॉ.) प्रीति कृष्णा, डीन ऑफ लाइफ साइंसेज; डॉ. मनु पंत, हैड, बायोटेक्नोलॉजी विभाग; और डॉ. अंजू रानी, हैड, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, शोधार्थी और अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित रही।

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