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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा दो दिवसीय शिक्षण वर्ग कार्यशाला का शुभारंभ

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा दो दिवसीय शिक्षण वर्ग कार्यशाला का शुभारंभ

ऋषिकेश। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तराखंड प्रान्त एवं नगर निगम ऋषिकेश की ओर से स्वर्ण जयंती सभागार नगर निगम ऋषिकेश में दो दिवसीय शिक्षण वर्ग कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। 

गुरुवार को मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ० संजय जसौला कुलपति ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय देहरादून, न्यास के उत्तर भारत के क्षेत्र प्रमुख शिक्षाविद जगरामजी  “भाईसाहब” एवं न्यास के प्रान्त अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ० विनोद कुमार अग्रवाल पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय पन्त नगर द्वारा संयुक्त दीप प्रज्वलित एवं न्यास के प्रान्त पर्यावरण प्रमुख विनोद जुगलान द्वारा गायत्री मंत्र वाचन के साथ किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ० संजय जसौला ने कहा कि न्यास द्वारा नई शिक्षा नीति (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) को लागू करने में उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है। इससे युवाओं के व्यक्तित्व निर्माण में मदद मिलेगी। न्यास के उत्तर भारत के क्षेत्र प्रमुख जगराम जी ने कहा कि शिक्षा के लिये जीवन प्रथम आयाम है और तकनीकी द्वितीय है। यदि हम युवाओं को जीवन की प्रतिबद्धता देने में सफल होंगे तो युवा समृद्ध होंगे। युवा ही राष्ट्र निर्माता है। शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण महत्वपूर्ण है। 

न्यास के अध्यक्ष पंतनगर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ० विनोद कुमार अग्रवाल ने कहा कि मूल्यपरक शिक्षा के बिना हम कुशल विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास नहीं कर सकते। दून इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल श्यामपुर की प्राचार्या डॉ० तनुजा पोखरियाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पर्यावरण शिक्षा को लागू किया जाना नई सदी की शुरुआत है। न्यास के प्रांत संयोजक श्री देव सुमन विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश के प्रो० डॉ० अशोक कुमार मैन्दोला ने न्यास के कार्मिक विकास विषय आयाम, कार्य विभाग पर विस्तृत चर्चा की। 

कार्यशाला में राजकीय इंटर कालेज खदरी के प्राचार्य डॉ० देवेंद्र सिंह कंडारी, पीजी कालेज ऋषिकेश के डॉ० दयाधर दीक्षित, राजकीय महाविद्यालय रुद्रपुर के डॉ० सुरेन्द्र विक्रम सिंह पड़ियार, डीआईटी देहरादून की प्रो० डॉ० बृजलता चौहान, डॉ० सूरजभान सिंह, डॉ० शिव दयाल, डॉ० एस बी सिंह, अधिवक्ता अजय कृष्ण भटारा, रेखा सजवाण, सविता काला, बिमला नौटियाल, विजय जुगरान, विजय बिष्ट, डॉ० गौरव वाष्णेय आदि प्रमुख रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ० अनुज शर्मा ने किया।

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