ईरान की जेल में सजा काट रहीं नरगिस मोहम्मदी के बच्चों ने स्वीकारा नोबेल
पुरस्कारों के 122 साल के इतिहास में यह पांचवा मौका है कि शांति पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जो जेल में है या घर में नजरबंद है।
हेलसिंकी। जेल में सजा काट रहीं नरगिस मोहम्मदी को साल 2023 के नोबेल शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया है। नरगिस मोहम्मदी बीते कई सालों से ईरान की जेल में बंद हैं। वह ईरान में महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाती रही हैं। मोहम्मदी के 17 वर्षीय जुड़वां बच्चे अली और कियाना रहमानी अपने पिता के साथ पेरिस में निर्वासन में रह रहे हैं।
ईरान सरकार ने उन्हें प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोप में जेल में कैद किया है। नरगिस के बच्चे कई सालों से अपनी मां से नहीं मिले हैं। बच्चों लेकिन उन्हें अपनी मां पर गर्व है।
Watch the very moment Narges Mohammadi’s children collected this year’s Nobel Peace Prize medal and diploma on behalf of their mother who is currently imprisoned. Mohammadi was awarded the 2023 Nobel Peace Prize for her work on human rights.
— The Nobel Prize (@NobelPrize) December 10, 2023
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ईरान की जेल में बंद महिला अधिकार व लोकतंत्र कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी के जुड़वां अलो च कियाना रहमानी ने रविवार को उनके बदले नोवेल शांति पुरस्कार स्वीकार किया। नरगिस मोहम्मदी को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार नॉर्वे की राजधानी ओस्लो स्थित सिटी हॉल में आयोजित एक समारोह में दिया गया।
17 वर्षीय अली व कियाना फिलहाल पेरिस में निर्वासन झेल रहे हैं। ईरान में महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाली नरगिस हिजाब आंदोलन के बाद फिलहाल तेहरान की जेल में 16 साल की सजा काट रही हैं। इससे पहले भी 13 बार गिरफ्तार नरगिस 31 साल जेल में बिता चुकी हैं।
ईरान में इससे पहले भी उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया था और कई साल जेल में रह चुकी हैं। ओस्लो में शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कियाना रहमानी ने अपनी मां का एक संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने ‘‘असहमति, प्रदर्शनकारियों और मानवाधिकार रक्षकों की आवाज को दुनिया तक पहुंचाने’’ में अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा निभाई गई भूमिका की प्रशंसा की।
मोहम्मदी ने अपने संदेश में कहा, ‘‘ईरानी समाज को वैश्विक समर्थन की आवश्यकता है और आप, पत्रकार एवं मीडियाकर्मी इस्लामी गणतंत्र सरकार के विनाशकारी अत्याचार के खिलाफ कठिन संघर्ष में हमारे सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी हैं। आपके प्रयासों के लिए, आपने हमारे लिए जो कुछ भी किया है, उसके लिए मैं आपको तहे दिल से धन्यवाद देती हूं।’’
कियाना रहमानी ने कहा कि उन्हें अपनी मां से दोबारा मिलने की बहुत कम उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘शायद मैं उन्हें 30 या 40 साल में देख पाऊंगी, लेकिन मुझे लगता है कि मैं उन्हें दोबारा नहीं देख पाऊंगी। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मेरी मां हमेशा मेरे दिल में रहेंगी, वे मूल्य जिनके लिए लड़ना जरूरी है।’’
मोहम्मदी के भाई और पति ने ओस्लो में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने ईरान में बहाई धर्म के धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए रविवार को भूख हड़ताल करने की योजना बनाई है।
रहमानी के पति ताघी ने पूर्व में कहा था कि वह 11 साल से अपनी पत्नी को नहीं देख पाए हैं और उनके बच्चों ने सात साल से अपनी मां को नहीं देखा है।
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