सिल्क्यारा बचाव अभियान (Silkyara Rescue Operation) के दौरान ऑगर मशीन बहुत उपयोगी साबित हुई जिससे लम्बी दूरी तक सुरंग खोदी गई, और आस जगी थी कि अब अभियान सफल हो जायेगा, परन्तु एक समय में मशीन के बलेड सुरंग में ड्रिलिंग के दौरान टूटकर फस गए। जिससे फिर मुसीबत खड़ी हो गई। अतः सुरंग में फंसी ऑगर मशीन के बलेड्स काटकर निकालने के लिए प्लाज्मा कटर हैदराबाद से मंगाया गया। जबकि यह देहरादून में ही उपलब्ध था।
बाहर से मंगाया गया काफी सामान था घर में ही
उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग हादसे में बचाव एवं राहत कार्यों में देश विदेश के वैज्ञानिक एवं सुरंग विशेषज्ञों की सलाह के साथ ही, अनेक आधुनिक मशीनें भी इस्तेमाल की गई परन्तु आखिर में अभियान देव आराधना और मानव हाथों से खुदाई से अंतिम चरण में सफलता हासिल हुई।
सुरंग में फंसे श्रमिकों को जल्द से जल्द जीवित बाहर निकलने के लिए अनेकों प्रयास किये गए। काफी सामान बाहर से मंगाया गया, परन्तु आपाधापी में किसी को यह ध्यान ही नहीं आया कि घर में भी जरूरी सामान उपलब्ध हैं। अभियान के लिए सामान मंगाने के लिए हम बाहर हाथ पैर मारते रहे।
ग्राफिक एरा विवि में चार दिवसीय विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन
प्रदेश में चार दिवसीय छठे विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन का 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय में आयोजन किया जा रहा हैं। जिसमें विभिन्न विभागों और संस्थाओं द्वारा आपदा प्रबंधन से संबंधित उपकरणों एवं सेवाओं और सुरक्षा उपायों की जानकारी संबंधित प्रदर्शनी भी लगाई गई है। प्रदर्शनी में एक स्टॉल में आपदा प्रबंधन से संबंधित उपकरण भी प्रदर्शित किये गये हैं। सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मजबूत लोहे, स्टील की रॉड एवं कंक्रीट आदि को काटने के लिए लेजर कटर, प्लाज्मा कटर, कोर कटिंग मशीन, वुड कटिंग मशीन, ब्रीदिंग अप्रेटस सेट आदि उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इनमें से अधिकतर उपकरण आनन-फानन में बाहर से मंगाए गए, जबकि यह सभी उपकरण देहरादून में मौजूद थे।
विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन में लगी प्रदर्शनी में डिफेंस इक्विपर्स के सेल्स मैंनेजर अंकित चड्ढा ने बताया कि उनकी कंपनी आपदा में काम आने वाले उपकरण बनाती है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा कटर, लेजर कटर सहित अनेक जरूरी उपकरण उनके पास हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सहित वह तमाम राज्यों में संबंधित इकाइयों को वह ऐसे उपकरणों की सप्लाई करते हैं।
हालांकि आपदा प्रबंधन में बचाव कार्य के दौरान प्रोटोकॉल एवं मानकीकरण के तहत ही उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाती है। साथ ही जानकारों के अनुसार यदि इन उपकरणों की पहले खोज राज्य में ही कर ली जाती तो बचाव कार्य कुछ जल्दी होता और पैसे आदि की बचत भी होती। साथ ही यह बात जगजाहिर हैं कि आपदा प्रबंधन में संसाधन की उपलब्धता से अधिक महत्व अनुभव का होता हैं, और यह बात सिल्क्यारा बचाव अभियान में भी लोगों की चर्चा में सामने आयी हैं।
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