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महाविद्यालय देवप्रयाग में टिहरी गढ़वाल की जनपद स्तरीय व्याख्यानमाला का ऑनलाइन आयोजन

महाविद्यालय देवप्रयाग में टिहरी गढ़वाल की जनपद स्तरीय व्याख्यानमाला का ऑनलाइन आयोजन

ओंकारानंद सरस्वती राजकीय महाविद्यालय देवप्रयाग में ”कालिदास के ग्रन्थों में मानवीय मूल्य” विषय पर व्याख्यानमाला का ऑनलाइन आयोजन किया गया। यह एक दिवसीय टिहरी गढ़वाल की जनपद स्तरीय व्याख्यान महाविद्यालय में आयोजित किया गया।   

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार की ओर से दिनांक 24 नवंबर 2023 से दिनांक  23 दिसंबर 2023 तक प्रदेश के पूरे 13 जनपदों में कालिदास मास महोत्सव के रूप में व्याख्यानमाला आयोजित की जा रही हैं। व्याख्यानमाला की अध्यक्षता राजकीय महाविद्यालय देवप्रयाग की प्राचार्य प्रोफेसर प्रीति कुमारी द्वारा की गई। 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर शिव शंकर मिश्र, शोध विभागाध्यक्ष लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ० सवितुर् प्रकाश गंगवार, वरिष्ठ सहायक आचार्य संस्कृत विभाग डी ए वी कॉलेज कानपुर उपस्थित रहे। 

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ० निरंजन मिश्र साहित्य विभागाध्यक्ष श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार तथा सह वक्ता के रूप में डॉ० प्रकाश चंद्र जांगी सहायक आचार्य संस्कृत विभाग राजकीय महाविद्यालय शीतला खेत अल्मोड़ा उपस्थित रहे। 

संगोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान देवप्रयाग परिसर की छात्रा कु० मोनिका के द्वारा मंगलाचरण के द्वारा किया गया। तदनन्तर मुख्य वक्ता डॉ० निरंजन मिश्र ने अपने संबोधन में कालिदास के साहित्य में मानवीय मूल्य विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि कालिदास अपने अमर साहित्य के साथ हमेशा अमर हैं। 

संगोष्ठी के सहवक्ता डॉ० प्रकाश चंद्र जांगी ने अपने संबोधन में बताया गया कि कालिदास अपने साहित्य में सभी विषयों का तत्कालीन समग्र ज्ञान समेटे हुए हैं। इसीलिए साहित्य की समझ रखने वाला प्रत्येक सरस उनको पढ़ना चाहता है। तदनन्तर संगोष्ठी में उपस्थित विशिष्ट वक्ता डॉ० सवितुर् प्रकाश गंगवार द्वारा अपने संबोधन में कालिदास के मेघदूत नामक गीति काव्य का तार्किक विवेचन व्यक्त किया। 

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर शिव शंकर मिश्र ने कार्यक्रम की सराहना की और संस्कृत साहित्य के वैशिष्ट्य को वैश्विक पटल पर लाने की बात कही। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो० प्रीति कुमारी द्वारा उपस्थित लोगों को साधुवाद दिया गया तथा संस्कृत साहित्य में नैतिक तथा सामाजिक मूल्यों की प्रचुरता की बात कही गयी। 

कार्यक्रम का समापन करते हुए संगोष्ठी के जनपद संयोजक डॉ० महेशानंद नौड़ियाल ने उपस्थित अतिथियों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों और छात्र-छात्राओं का आभार व्यक्त किया। साथ ही संगोष्ठी में तकनीकी सहायक संदीप सिंह नेगी, ओंकारानंद सरस्वती राजकीय महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ० दिनेश कुमार, वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ० अर्चना धपवाल, डॉ० मिथिलेश गंगवार, डॉ० शिवप्रसाद भंडारी, डॉ० नवीन तथा डॉ० भास्कर एवं शोध छात्र-छात्राओं में सौम्या तथा अनिल कुमार पटेल – छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर और महाविद्यालय की सरला, गीतिका चौहान, ईशा भट्ट इत्यादि अन्य कई छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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