उत्तराखंड: उच्च शिक्षा विभाग के 139 प्रोफेसरों की प्रोफेसर पद पर पदोन्नति की उच्च स्तरीय जांच कराई गई। जिसमें 38 अधिकारियों, प्राचार्य और प्रोफेसर की प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति पर सवाल उठाया गया है। इनमें से 101 प्रोफेसरों को क्लीन चिट मिल चुकी है, जबकि 18 प्रोफेसर पात्र श्रेणी में हैं, लेकिन उनके दस्तावेज अधूरे हैं। इसमें उच्च शिक्षा निदेशक भी शामिल हैं। वहीं, 20 एसोसिएट प्रोफेसर ऐसे पाए गए जो प्रोफेसर पद के लिए यूजीसी के नियमों को पूरा नहीं करते थे।
उच्च शिक्षा में प्रोफेसर पद पर प्रमोशन प्रक्रिया 2018 में शुरू हुई थी. 11 जून, 2019 को 139 प्रोफेसरों को प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गया। इस प्रमोशन में विवाद खड़ा हो गया। मामला लोक सेवा अभिकरण तक पहुंचने के बाद जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आने के बाद उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली ने नियमों के विपरीत प्रमोशन पाने वाले 20 लोगों के मामले में उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. सीडी सूंठा को जांच सौंपी गई है। सुनवाई के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। अधूरे दस्तावेज वाले 18 लोगों का मामला कुमाऊं विवि के कुलपति को सौंप दिया गया है। उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. सीडी सुंठा ने बताया कि अपात्र पाए गए शिक्षकों के मामले में निदेशालय स्तर पर कमेटी गठित कर जांच शुरू कर दी गई है। सबका एहसान लिया जा रहा है। 18 लोगों का मामला कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति को सौंपा गया है।