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खाद्य सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी: विशेषज्ञों ने बर्बाद भोजन के उपयोग और गुणवत्ता पर मंथन किया

खाद्य सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी: विशेषज्ञों ने बर्बाद भोजन के उपयोग और गुणवत्ता पर मंथन किया

“देहरादून, 18 अक्टूबर। ग्राफिक एरा में विशेषज्ञों ने भोजन की बर्बादी से निपटने के लिए विभिन्न समाधानों पर मंथन किया।

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में खाद्य सुरक्षा व गुणवत्ता पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को आज इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. जी. डी. यादव मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बायोमास हाइड्रोजेनेशन तकनीक से प्राप्त हाइड्रोजन गैस कृषि के साथ ही पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है। इस तकनीक की मदद से वैश्विक स्तर पर बर्बाद हुए भोजन को ईंधन, रसायन व ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि देश में भोजन की कमी से निपटने में उपयोगी आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को जांचना आवश्यक है। इसके लिए फसलों में एग्रोकेमिकल की मात्रा और उसके दुष्प्रभावों को घटाने पर जोर दिया जाना चाहिए। प्रो. यादव ने छात्र-छात्राओं से खाने की बर्बादी न करने का आह्वान किया।

एमएपी वेन्चर्स, अमेरिका के जे. टाॅड क्वेन्सनर ने क्रॉन डिजीज पर किए गए अपने शोध पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माइकोबैक्टीरियम एरियम एसएसपी. पैराट्यूबरक्लोसिस से पीड़ित पशुओं में एमएपी रोगाणु पाया जाता है। यही रोगाणु क्राॅन डिजीज के रोगियों के खून व टिशू में भी पाया गया है। उन्होंने कहा कि एमएपी पर की जाने वाली एण्टीमाइक्रोबियल थेरेपी क्राॅन डिजीज के उपचार में सहायक होती है। ओसाका सिटी यूनिवर्सिटी, जापान के प्रो. काटसूयोरी निशीनारी ने कहा कि औसत व स्वस्थ जीवन संभाविता के बीच 10 वर्षों का अंतर है। विभिन्न शोधों में पाया गया है कि अधिकांश देशों में संतुलित आहार से मिलने वाला पोषण एक समान है लेकिन स्वस्थ मन व शरीर के लिए व्यायाम करना भी जरूरी है।

संगोष्ठी में कुलपति डॉ० नरपिंदर सिंह ने कहा कि पौष्टिक व अच्छी गुणवत्ता का भोजन प्राप्त न होने की वजह से अधिकतर बच्चों में कुपोषण की शिकायत में इजाफा हो रहा है। इसके निदान के लिए पौधों पर आधारित प्रोटीन जैसे कि चिया सीड्स, दाल, गेहूं, हरी सब्जियां, टोफू, बादाम आदि को नियमित रूप से भोजन में शामिल करना चाहिए। संगोष्ठी में एसोसिएशन ऑफ फूड साइंटिस्ट्स एण्ड टेक्नोलॉजिस्ट्स, इण्डिया के सचिव डा. नवीन शिवअन्ना ने एएफएसटी (आई) के देहरादून चैप्टर का उद्घाटन किया। वीवीआईटी, मैसूर के डा. एसएम अराद्य, सेन्ट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट मैसूर के डॉ० के. नीलकण्टेश्वर पाटिल और पांडिचेरी यूनिवर्सिटी, पुड्डूचेरी के डॉ० कृष्ण कुमार जयसवाल ने भी विभिन्न विषयों पर संगोष्ठी को सम्बोधित किया।

संगोष्ठी के पहले दिन आज स्मारिका का विमोचन किया गया। 20 से ज्यादा पेपर प्रेजेण्टेशन और 55 से ज्यादा पोस्टर प्रेजेण्टेशन प्रस्तुत किए गए। संचालन डॉ० अंकिता डोभाल और रिया बड़थ्वाल ने किया। इस अवसर पर संगोष्ठी की शाम आयोजित रंगारंग कार्यक्रमों को भी खूब पसंद किया गया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने इण्डियन नेशनल साइंस एकेडमी, नई दिल्ली और एसोसिएशन ऑफ फूड साइंटिस्ट्स एण्ड टेक्नोलॉजिस्ट्स, इण्डिया के सहयोग से किया।

संगोष्ठी में एचओडी व संयोजक डॉ० विनोद कुमार, सह संयोजक डॉ० संजय कुमार, आयोजन सचिव डॉ० बिन्दु गुप्ता, डॉ० अरूण कुमार गुप्ता व इंजीनियर भावना बिष्ट, संयुक्त सचिव डॉ० रवनीत कौर विभिन्न विभागों के एचओडी, शोधकर्ता, पीएचडी स्कालर और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। “

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