ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ ही कार्बन उत्सर्जन रोकना महत्वपूर्ण: डॉ० सोमनाथ

ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ ही कार्बन उत्सर्जन रोकना महत्वपूर्ण: डॉ० सोमनाथ

देहरादून, 9 नवम्बर। केंद्र सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव व इसरो के अध्यक्ष डॉ० एस सोमनाथ ने कम्बशन (दहन) की प्रक्रिया से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर शोध करने का आह्वान किया है।

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ० सोमनाथ ने कहा कि ऊर्जा आवश्यकता को कम्बशन से पूरा  जाता है। जिससे धरती और अंतरिक्ष में प्रदूषण होता है। उन्होंने कहा कि रॉकेट और एयरक्राफ्ट आदि में उपयोग होने वाले ईंधन से बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है। अतः रॉकेट इंजन के डिजाइन में ऑटोराइजेशन होना चाहिए।

डॉ० सोमनाथ ने कहा कि एनर्जी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और कम्बशन से होने वाले प्रदूषण को कम करना आज शोध के महत्वपूर्ण विषय हैं। उन्होंने ग्रीन फ्यूल – हाइड्रोजन, मेथेनॉल, अमोनिया आदि के उपयोग और इनसे जुड़ी चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला।  

प्रख्यात मिसाइल वैज्ञानिक, नीति आयोग के सदस्य व ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ० वी के सारस्वत ने कहा कि बाढ़, भूस्खलन और मौसम में बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है। उन्होंने कहा रॉकेट, एयरक्राफ्ट आदि में इस्तेमाल होने वाले आईसी इंजन की कम्बशन की प्रक्रिया को कंट्रोल करने पर हमें ध्यान देना चाहिए। मोबिलिटी, इंडस्ट्री, थर्मल पावर प्लांट, कैमिकल्स प्रोसेस और कम्बश्चन प्रोसेस से होने वाले प्रदूषण कम करने हेतु रिसर्च की बहुत आवश्यकता है।

 

उन्होंने कहा कि डीजल और हाइड्रोजन, सीएनजी और हाइड्रोजन को मिलाकर एक मिश्रित ईंधन बनाये जा सकते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी उसके पूरे कार्यकाल में होने वाले प्रदूषण की हाइब्रिड वाहनों से होने वाले प्रदूषण से तुलना की जाए, तो दोनों एक जैसे ही होते हैं।  

नीति आयोग के सदस्य डॉ सारस्वत ने कहा कि हाइड्रोजन को  ईंधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं। परन्तु हाइड्रोजन से स्टोरेज, ट्रांसपोटेशन जैसी कई चुनौतियां जुड़ी होती हैं। हाइड्रोजन उत्पादन के तरीकों की लागत कम से कम करने और स्टोरेज आदि की चुनौतियां कम करने पर कार्य करने की आवश्यकता है।

द कम्बश्चन इंस्टीट्यूट- इंडियन सेक्शन के सचिव पी. के. पाण्डेय ने इंस्टीट्यूट की उपलब्धियों और गतिविधियों पर प्रकाश डाला। सम्मेलन में दास्तूर एनर्जी के सीईओ व मैनेजिंग डायरेक्टर अटानू मुखर्जी ने कहा कि एनर्जी के स्तर, आर्थिकी और सुरक्षा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि के जितने लाभ हैं, उतनी ही उनकी सीमाएं भी हैं। इसलिए सही तरह के ईंधन का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है।

ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ० कमल घनशाला ने सम्मेलन में कहा कि भारत ऐसा पहला देश है जिसने चांद के साउथ पोल पर अंतरिक्ष यान भेजने में कामयाबी हासिल की है। यह इसरो की बड़ी उपलब्धि है। डॉ० वी के सारस्वत के निर्देशन में पृथ्वी, धनुष और अग्नि जैसी बेमिसाल मिलाइलें देश ने बनाई हैं। डॉ० घनशाला ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन घटाने और ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाने की चुनौतियों से निपटने की तकनीकों पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में गहन चर्चा होगी।

सम्मेलन में देश-विदेश के वैज्ञानिक 120 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। सम्मेलन में यूनाइटेड नेशन्स के डॉ० उगर ग्यूवेन, सिंगापुर के प्रो. जियांग ह्वांगवी, ताईवान के प्रो. मिंग सुन वू,  नीदरलैंड्स के डॉ० प्रखर जिन्दल, आयरलैण्ड के डॉ० आशीष वशिष्ठ, शिकागो के डॉ० शांतनु चौधरी, यूएस के डॉ० नारायणस्वामी वेंकटेश्वरन भी शिरकत कर रहे हैं। सम्मेलन में स्मारिका का विमोचन किया गया और कम्बश्चन इंस्टीट्यूट की 50वीं जयंती पर विशाल केक भी काटा गया।

सम्मेलन में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर प्रो० राकेश कुमार शर्मा, कुलपति डॉ० नरपिंदर सिंह और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ० संजय जसोला के साथ ही विश्वविद्यालय के प्राध्यापक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। सम्मेलन के आयोजन सचिव व ग्राफिक एरा के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के एचओडी डॉ० सुधीर जोशी ने आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ० एम पी सिंह ने किया।

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