देहरादून, 9 दिसम्बर। ग्राफिक एरा में विशेषज्ञों ने पर्यावरण बचाने की नई तकनीकों पर मंथन किया।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में सतत विकास के लिए मौजूदा तकनीकों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आज शुरू हो गया। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को जाधवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता के प्रो. साधन कुमार घोष ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण की समस्या से निदान के लिए शिक्षा, उद्योग व सरकार को मिलकर कार्य करने होंगे। इसके लिए शोध व विकास कार्यों में और ज्यादा निवेश करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि खुद की आदतों में परिवर्तन करके कार्बन, पानी व अन्य तरहों के फुटप्रिंट कम किए जा सकेंगे।
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय सिंचाई एवं विद्युत बोर्ड के सचिव आदित्य कुमार दिनकर ने कहा कि पर्यावरण में तेजी से आ रहे बदलावों का समाधान शोधकार्यों, विचारों के आदान-प्रदान व साथ मिलकर कार्य करके निकाला जा सकता है। कुलपति डॉ० नरपिन्दर सिंह ने कहा कि लगातार बढ़ते तापमान, पिघलते ग्लेश्यिर, ग्रीन हाउस गैस जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी, बेहतर सोलर पैनल, जियोथर्मल ऊर्जा, बायो एनर्जी व इण्टरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़े उपकरण बेहतरीन विकल्प हैं। ब्यूरो ऑफ इण्डियन स्टैन्र्डड, देहरादून के हेड सौरभ तिवारी ने छात्र-छात्राओं को उत्पादों के मानकीकरण की प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
सम्मेलन में स्मारिका व डॉ० टोनी नादेर की पुस्तक ’कान्शियस इज आल देअर इज’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी व इण्टरनैशनल सोसायटी ऑफ वेस्ट मैनेजमेंट, एयर एंड वाटर के बीच एक एमओयू किया गया। सम्मेलन के मौके पर ईको मेले का भी आयोजन किया गया। इसमें छात्र-छात्राओं ने हर्बल साबुन, लिफाफे, व्यंजन आदि ईको फ्रैंडली उत्पाद खुद से बनाकर प्रदर्शित किए। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन आज 80 शोधपत्र पढ़े गये व 20 पोस्टर प्रदर्शित किए गए।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन डिपार्टमेण्ट ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंसेज ने किया। सम्मेलन में एचओडी डॉ० प्रतिभा नैथानी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के डिप्टी डायरेक्टर डॉ० विपिन गुप्ता व असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल निलिमा शाह, संयोजक डॉ० सुमन नैथानी, डीन (प्रोजेक्ट्स) डॉ० प्रदीप कुमार शर्मा, प्रो. अर्चना बछेती, आयोजन सचिव डॉ० रचन कर्माकर, डॉ० अधिरथ मण्डल, सौरभ सती, निखिल रंजन बेचेरा, शिक्षक-शिक्षिकाएं, शोधकर्ता व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। संचालन डॉ० भारती शर्मा ने किया।
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