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रात को सोने से पहले बंद होनी चाहिए लाइट, पढ़िए गहरी नींद में क्यों बाधक है रोशनी?

रात को सोने से पहले बंद होनी चाहिए लाइट, पढ़िए गहरी नींद में क्यों बाधक है रोशनी?

रात को सोने से पहले लाइट बंद करने की आदत नींद के साथ गहरे कनेक्शन में है, और इसका वैज्ञानिक आधार भी है। जब हम लाइट बंद करते हैं, तो हमारी शरीर की प्राकृतिक जैविक घड़ी, जिसे सर्केडियन रिदम कहा जाता है, उसे संकेत मिलता है कि यह रात का समय है और अब शरीर को आराम की आवश्यकता है। रात को सोने से पहले लाइट बंद करना नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है। लाइट का हमारी नींद और स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह मेलाटोनिन नामक हार्मोन के उत्पादन को बाधित करता है, जो नींद के लिए जिम्मेदार होता है।

मेलाटोनिन का उत्पादन: हमारी आंखों में मौजूद एक विशेष प्रकार – फोटोरिसेप्टर नाम के रिसेप्टर्स लाइट के प्रभाव से मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन नियंत्रित करते हैं। जब लाइट बंद होती है, तो मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ता है, जो हमें सोने में मदद करता है और नींद को गहरा और आरामदायक बनाता है। अंधेरा मेलाटोनिन उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे शरीर को सोने के संकेत मिलते हैं। रोशनी, खासकर नीली रोशनी, इस प्रक्रिया को रोकती है और नींद में देरी करती है। जब हम अंधेरे में होते हैं, तो हमारा मस्तिष्क मेलाटोनिन नामक हार्मोन का उत्पादन करता है, जो हमें सुकून भरी नींद लाने में मदद करता है। अगर कमरे में लाइट जलती है, तो मेलाटोनिन का उत्पादन बाधित हो जाता है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब हो सकती है।

सर्केडियन रिदम: हमारा शरीर एक प्राकृतिक घड़ी के अनुसार काम करता है, जिसे सर्केडियन रिदम कहते हैं।, जो दिन और रात के चक्र के आधार पर शरीर की शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती है। जब रात को लाइट बंद होती है, तो यह सर्केडियन रिदम को सही दिशा में काम करने में मदद करता है, जिससे नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है।

मनोवैज्ञानिक प्रभाव: अंधेरे में हमारा मन शांत होता है और हम तनाव से मुक्त होते हैं, जिससे हम आसानी से सोने में सक्षम होते हैं। लाइट, विशेष रूप से नीली लाइट, मस्तिष्क को सक्रिय कर सकती है, जो नींद को बाधित कर सकती है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव: लाइट के साथ सोने से हार्ट डिजीज, मोटापा और डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। यह शरीर के सर्कैडियन रिदम को बिगाड़ सकता है।

नींद की गुणवत्ता: लाइट चालू होने से गहरी नींद (डीप स्लीप) में बाधा आती है। गहरी नींद शरीर और दिमाग के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि इसी दौरान शरीर खुद को रिपेयर करता है और ऊर्जा पुनः संचय करता है। रोशनी नींद को बाधित करती है, जिससे गहरी और शांतिपूर्ण नींद लेना मुश्किल हो जाता है। इससे मूड, स्मरणशक्ति और समग्र मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

आंखों और मानसिक स्वास्थ्य: लंबे समय तक लाइट एक्सपोज़र से थकावट और आंखों पर तनाव बढ़ सकता है। आंखों और दिमाग को आराम लाइट बंद करने से आंखों और दिमाग को आराम मिलता है। लगातार रोशनी में रहने से आंखों पर तनाव बढ़ता है और दिमाग अलर्ट मोड में रहता है, जिससे सोने में मुश्किल होती है।

ब्लू लाइट का नुकसान: टीवी, मोबाइल और अन्य स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन के उत्पादन को विशेष रूप से प्रभावित करती है। इसलिए सोने से कम से कम 1 घंटे पहले स्क्रीन का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।

बेहतर नींद के लिए टिप्स: सोने से पहले कमरे की लाइट्स को धीमा या पूरी तरह बंद कर दें। अंधेरे में सोने की आदत डालें, लेकिन अगर पूरी तरह अंधेरा पसंद नहीं, तो डिम नाइट लाइट का उपयोग करें।

सोने से पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप का उपयोग कम करें। सोने का एक तय समय रखें ताकि आपका शरीर आदत में ढल जाए। इसलिए, रात को सोने से पहले लाइट को बंद करना न सिर्फ नींद के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। अतः रात में सोने से पहले सभी लाइट्स बंद कर दें या बहुत मद्धम रोशनी का उपयोग करें। साथ ही स्क्रीन टाइम को सोने से पहले कम से कम 1 घंटे पहले बंद कर दें, ताकि नींद बेहतर हो सके।

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