अयोध्या/लखनऊ: श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और लखनऊ पीजीआई में इलाज के दौरान ब्रेन हैमरेज के कारण उन्होंने अंतिम सांस ली। आचार्य सत्येंद्र दास 80 वर्ष के थे और पिछले 34 वर्षों से रामलला की सेवा कर रहे थे। उनके निधन पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सहित संत समाज ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
लंबे समय से थे बीमार
29 जनवरी को ब्रेन स्ट्रोक आने के बाद उन्हें अयोध्या के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में 4 फरवरी को लखनऊ PGI रेफर किया गया, जहां उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी। डॉक्टरों के अनुसार, वे मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियों से भी ग्रसित थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल जाकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की थी।
अयोध्या में होगा अंतिम संस्कार
आचार्य सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर लखनऊ से अयोध्या लाया जाएगा, जहां गुरुवार को सरयू तट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय और मंदिर प्रशासन के अन्य सदस्यों ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।
सीएम योगी ने जताया शोक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा,
“परम रामभक्त, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।”
रामलला की 34 वर्षों तक सेवा
आचार्य सत्येंद्र दास ने 1992 में मुख्य पुजारी के रूप में रामलला की सेवा शुरू की थी। उन्होंने 28 वर्षों तक टेंट में और फिर 4 वर्षों तक अस्थायी मंदिर में सेवा की। रामलला के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी रहने वाले आचार्य सत्येंद्र दास 1958 में संन्यास लेकर रामलला की सेवा में समर्पित हो गए थे।
रामलला की सेवा के लिए छोड़ा था घर
आचार्य सत्येंद्र दास का जन्म 20 मई 1945 को संत कबीर नगर में हुआ था। वे बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे। 1958 में उन्होंने संन्यास लेकर अभिरामदास जी के आश्रम में रहना शुरू किया, जिन्होंने 1949 में राम जन्मभूमि में रामलला की मूर्तियों के प्रकट होने का दावा किया था। यही घटना आगे चलकर राम जन्मभूमि आंदोलन का आधार बनी।
1992 में बने थे पुजारी, 100 रुपये से शुरू हुआ वेतन
आचार्य सत्येंद्र दास को मार्च 1992 में रामलला के पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया था। शुरुआत में उन्हें 100 रुपये प्रति माह वेतन मिलता था, जो बाद में बढ़ाकर 38,500 रुपये कर दिया गया।
आचार्य सत्येंद्र दास का निधन राम मंदिर निर्माण की यात्रा में एक महत्वपूर्ण युग के अंत का प्रतीक है। उनका जीवन समर्पण, भक्ति और सेवा का प्रतीक था, और वे सदैव भक्तों की स्मृतियों में जीवित रहेंगे।