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फेसबुक नहीं, “फेस-ए-बुक” बढ़ाएगा युवाओं में पुस्तकों के प्रति रुचि

फेसबुक नहीं, “फेस-ए-बुक” बढ़ाएगा युवाओं में पुस्तकों के प्रति रुचि

सोशल मीडिया की चमक में खो गई पुस्तकें- प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल

देहरादून: दून विश्वविद्यालय में सोशल मीडिया के अनियंत्रित उपयोग और पुस्तकों के प्रति घटती रुचि को लेकर “फेस-ए-बुक चैलेंज” तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय और अंग्रेजी विभाग के एल्सियन लिटरेरी सोसाइटी द्वारा किया गया। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को कला और साहित्य से संबंधित पुस्तकों के पठन और समीक्षा के लिए प्रेरित करना था।

“फेस-ए-बुक चैलेंज” नामक इस कार्यक्रम का समापन विश्वविद्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में कुलसचिव दुर्गेश डिमरी की अध्यक्षता में हुआ। पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार ने स्वागत भाषण में इस चैलेंज की विषय-वस्तु और रूपरेखा पर प्रकाश डाला और बताया कि प्रतिभागियों को पुस्तक समीक्षा प्रस्तुत करने पर पुरस्कृत किया जाएगा। निर्णायक मंडल में डॉ. नितिन कुमार, डॉ. स्वागता बासु और डॉ. उदिता नेगी शामिल रहे।

कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने अपने संदेश में कहा कि सोशल मीडिया के आकर्षण में पुस्तकें कहीं खो गई हैं और इस प्रयास से विद्यार्थियों को पुस्तक पढ़ने और उसकी समीक्षा प्रस्तुत करने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को पुस्तक पढ़ने के कौशल का कोई विकल्प नहीं है। शॉर्ट नोट्स पढ़ने से परीक्षा में पास तो हुआ जा सकता है, लेकिन वास्तविक ज्ञान अर्जित नहीं होता।

अंग्रेजी विभाग की डॉ. चेतना पोखरियाल ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जाने चाहिए ताकि पुस्तकों और पुस्तकालयों के प्रति रुचि बनी रहे जो वर्तमान समय में कहीं खोती जा रही है।

इस प्रतियोगिता में 50 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। निर्णायकों ने खुशी यादव को प्रथम, समृद्धि कालरा को द्वितीय और वान्या जोशी को तृतीय स्थान प्रदान किया।

समापन कार्यक्रम में डॉ० अदिति बिष्ट, डॉ० रमा बोहरा और डॉ० रजनीश कुमार सहित विभिन्न संकायों के 60 से अधिक शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। इस आयोजन ने युवाओं में पुस्तकों के प्रति रुचि जगाने और पुस्तकालय संस्कृति को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में कार्य किया।

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