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एम्स ऋषिकेश की अनोखी पहल, बिना चीर-फाड़ के होगा पोस्टमार्टम…

एम्स ऋषिकेश की अनोखी पहल, बिना चीर-फाड़ के होगा पोस्टमार्टम…

अब मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम बिना किसी चीर-फाड़ के संभव हो सकेगा। एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों ने पारंपरिक प्रक्रिया को बदलते हुए एक नई तकनीक विकसित की है, जिसे ‘मिनिमली इनवेसिव ऑटोप्सी’ कहा गया है। इस तकनीक की खासियत यह है कि इसमें शव को गले से पेट तक चीरने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे परिजनों की भावनाओं को भी ठेस नहीं पहुंचती।

CT स्कैन, लेप्रोस्कोपी और एंडोस्कोपी का अनूठा समावेश
इस विधि में तीन तकनीकों – सीटी स्कैन, लेप्रोस्कोपी और एंडोस्कोपी – का संयोजन किया गया है। एम्स के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के डॉ. आशीष भूते के मुताबिक, इस नई प्रणाली में शव के कुछ हिस्सों में केवल दो-दो सेंटीमीटर के छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं। इन छेदों के माध्यम से विशेष उपकरणों से शरीर के आंतरिक अंगों का परीक्षण और बायोप्सी की जाती है।

कई संस्थानों में चल रही थी तैयारी, एम्स ने कर दिखाया
हालांकि कुछ चिकित्सा संस्थान केवल सीटी स्कैन से पोस्टमार्टम की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उसमें कई बार विसरा और आंतरिक जांच के लिए चीर-फाड़ जरूरी हो जाती थी। ऐसे में एम्स ऋषिकेश ने लेप्रोस्कोपी और एंडोस्कोपी तकनीकों को मिलाकर यह नवाचार किया। इस कार्य में डॉ. बिनय बस्तियां और संस्थान की निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह का विशेष सहयोग रहा।

संवेदनशील मामलों में मिलेगा बड़ा लाभ
विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक खासकर संवेदनशील मामलों जैसे यौन शोषण या बच्चों की मृत्यु की जांच में बेहद मददगार होगी। इसमें गुप्तांगों की आंतरिक जांच बिना चीर-फाड़ के संभव होगी, जिससे न केवल वैज्ञानिक निष्कर्ष सटीक होंगे, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं को भी सम्मान मिलेगा।

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