राजस्थान के आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में एक बार फिर सोने के विशाल भंडार की पुष्टि हुई है, जिससे यह जिला अब भारत के ‘स्वर्ण गढ़’ के रूप में अपनी पहचान मजबूत कर रहा है। जिले के घाटोल क्षेत्र के कांकरिया गांव में तीसरी स्वर्ण अयस्क खदान का पता चला है, जहां 222.39 टन शुद्ध सोना और 11 करोड़ टन से अधिक अयस्क होने का अनुमान है।
तीसरी खदान की पुष्टि: कांकरिया बना केंद्रबिंदु
भूवैज्ञानिकों को कांकरिया गांव में लगभग 3 किलोमीटर के क्षेत्र में स्वर्ण अयस्क के पुख्ता संकेत मिले हैं। इस ब्लॉक की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है और जल्द ही माइनिंग लाइसेंस जारी होने के बाद खनन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इससे पहले भी घाटोल क्षेत्र के जगपुरिया और भूकिया में स्वर्ण खदानों की पुष्टि हो चुकी है।
खनन से खुलेगा विकास का द्वार
इस खोज से न केवल बांसवाड़ा जिला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया है, बल्कि यह भारत की कुल स्वर्ण मांग का लगभग 25% तक आपूर्ति करने की क्षमता भी रखता है। खनन शुरू होने के बाद यहां इलेक्ट्रॉनिक, पेट्रोलियम, बैटरी, एयर बैग और पेट्रोकेमिकल्स जैसे उद्योगों में निवेश बढ़ेगा, जिससे जिले में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे।
पहले भी निकल चुका है सोना
पिछले वर्ष राजस्थान सरकार ने भूकिया-जगपुरा खनन ब्लॉक की नीलामी की थी, जिसमें रतलाम की एक फर्म को लाइसेंस मिला था। लेकिन धरोहर राशि जमा न करने के कारण सरकार ने टेंडर निरस्त कर दिया। अब इन ब्लॉकों के लिए नए टेंडर जारी किए गए हैं, जिनकी अंतिम तिथि 14 अक्टूबर थी और ये 3 नवंबर को खोले जाएंगे। जो फर्म सरकार को सबसे अधिक राजस्व का प्रस्ताव देगी, उसे खनन का लाइसेंस मिलेगा।
भंडार का अनुमान: आंकड़ों में समृद्धि
कुल क्षेत्रफल: 940.26 हेक्टेयर
स्वर्ण अयस्क: 113.52 मिलियन टन (11 करोड़ 35 लाख 20 हज़ार टन)
शुद्ध सोना: 222.39 टन
कांकरिया-गारा क्षेत्र: 205 हेक्टेयर में 1.24 मिलियन टन अयस्क संभावित
सह-खनिज: अन्य बहुमूल्य खनिज भी निकाले जाएंगे
बांसवाड़ा की नई पहचान
इस तीसरी खदान की पुष्टि के साथ बांसवाड़ा अब देश के उन चुनिंदा चार राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां स्वर्ण खनन होता है। यह खोज न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और समृद्धि का नया द्वार भी खोलती है।
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