हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के हिंदी एवं एनी भारतीय भाषा विभाग द्वारा भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के तत्वावधान में चौरस परिसर में भारतीय भाषा परिवार की संकल्पना पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रख्यात भाषाविद प्रो. रमेश चंद शर्मा (पूर्व विभागाध्यक्ष भाषाविज्ञान एवं संकायाध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय) एवं संरक्षक प्रो. श्रीप्रकाश सिंह (कुलपति, गढ़वाल विश्वविद्यालय) ने किया। इस अवसर पर भारतीय भाषा समिति, भारत सरकार एवं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा प्रकाशित “भारतीय भाषा परिवार- भाषाविज्ञान में एक नई रूपरेखा” और “भारतीय भाषा परिवार पर संकलित- परिप्रेक्ष्य एवं क्षितिज” दो पुस्तकों का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. रमेश चंद शर्मा ने कहा कि ये दोनों पुस्तकें भारतीय भाषाओं के भाषावैज्ञानिक अध्ययन के अनौपनिवेशीकरण की दिशा में एक प्रयास है। भारत की समस्त भाषाओं में एक अद्भुत एकता है, उनमें समान व्याकरणिक संरचनाएँ और समान शब्दावली हैं किंतु औपनिवेशिक काल में “बाँटों और राज करो” की नीति के तहत विभिन्न परिवारों में बाँटकर इनमें वैमनस्यता पैदा करने के कुत्सित प्रयास किए गए। उन्होंने मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा हो, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इस मूल सिद्धांत के क्रियान्वयन करने का आह्वान किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने भारतीय भाषा समिति के इन प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय भाषाएं भारतीय संस्कृति के एक सूत्र में जुड़ी हुई हैं। भाषाओं की ये विविधता हमारी शक्ति है और हमें समस्त भारतीय भाषाओं के संवर्धन हेतु सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ता के रूप में प्रो. मृदुल जोशी, प्रो. रचना विमल, प्रो. सुधीर प्रताप सिंह, प्रो. राजीव अग्रवाल, डॉ साकेत बहुगुणा, प्रो. अरविंद अवस्थी, डॉ सुशील कोटनाला, प्रो. विजय कौल विभिन्न सत्रों में अपना वक्तव्य रखेंगे।
इस अवसर पर अनेक शोधार्थी, विद्यार्थी और शिक्षक उपस्थित रहे।संगोष्ठी की स्थानीय समन्वयक प्रो. गुड्डी बिष्ट पंवार ने समस्त अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।