आईसीएआर–आईआईएसडब्ल्यूसी देहरादून में अपशिष्ट जल उपचार व पुनर्चक्रण पर जागरूकता अभियान आयोजित

आईसीएआर–आईआईएसडब्ल्यूसी देहरादून में अपशिष्ट जल उपचार व पुनर्चक्रण पर जागरूकता अभियान आयोजित

स्वच्छता पखवाड़ा 2025 के अंतर्गत आईसीएआर–भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (आईसीएआर–आईआईएसडब्ल्यूसी),देहरादून द्वारा 26 दिसंबर 2025 को संस्थान परिसर में पर्यावरणीय स्वच्छता हेतु अपशिष्ट जल शोधन एवं पुनर्चक्रण विषय पर एक जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया।

डॉ. एम. मुरुगानंदम, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी (पीएमई एवं केएम इकाई) ने जल शोधन, जल गुणवत्ता संरक्षण, अपशिष्ट जल निपटान तथा पुनर्चक्रण के पर्यावरणीय महत्व पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को संस्थान परिसर में आधिकारिक आवासों से उत्पन्न अपशिष्ट जल के उपचार हेतु स्थापित “जलोपचार” प्रणाली की जानकारी दी।

डॉ. मुरुगानंदम ने बताया कि जलोपचार प्रणाली पौधा–सूक्ष्मजीव–मीडिया (अपशिष्ट जल)–रेत–पत्थर फिल्टर अंतःक्रियाओं के सिद्धांत पर कार्य करती है और अपशिष्ट जल उपचार के लिए प्रकृति-आधारित समाधान अपनाती है। उन्होंने Typha latifolia एवं Arundo donax जैसी पौध प्रजातियों की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो भारी धातुओं, घरेलू रासायनिक प्रदूषकों, नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्टों तथा सूक्ष्मजीवीय प्रदूषकों को फँसाने एवं हटाने में सहायक होती हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली पर्यावरण-अनुकूल है क्योंकि इसमें बड़े फिल्टर, एरेटर या हानिकारक रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता। साथ ही उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जल पुनः उपयोग की बढ़ती मांग एवं तकनीकी प्रगति के साथ अपशिष्ट जल शोधन प्रणालियाँ निरंतर विकसित हो रही हैं।

डॉ. रामपाल ने जलोपचार प्रणाली के प्रमुख घटकों—चयनित मैक्रोफाइट्स, परतदार रेत–पत्थर फिल्टर मीडिया, इनलेट स्ट्रेनर एवं फिल्टर, जल-स्तर निगरानी इकाइयाँ तथा भंडारण टैंक—के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जो अपशिष्ट जल को प्राप्त करने, संग्रहित करने, उपचारित करने और पुनर्चक्रण में सहायक हैं। उन्होंने पौधों एवं सूक्ष्मजीवों की समन्वित भूमिका को समझाते हुए बताया कि प्रदूषक हटाने की दक्षता प्रयुक्त पौध प्रजातियों तथा प्रणाली में विद्यमान सूक्ष्मजीवीय आबादी पर निर्भर करती है।

कार्यक्रम में डॉ. सादिकुल इस्लाम (वैज्ञानिक), श्री अनिल के. चौहान (मुख्य तकनीकी अधिकारी), श्री टी. एस. रावत (वित्त एवं लेखा अधिकारी), श्री ब्रजेश जादौन (प्रशासनिक अधिकारी), श्री आलोक खंडेलवाल (सहायक प्रशासनिक अधिकारी) सहित संस्थान के कर्मचारी एवं सॉयल कॉलोनी के निवासी सक्रिय रूप से सहभागी रहे।

इस कार्यक्रम का समन्वय डॉ. एम. मुरुगानंदम द्वारा डॉ. रामपाल, श्री अनिल के. चौहान, श्री टी. एस. रावत एवं श्री जॉर्डन (आईसीएआर–आईआईएसडब्ल्यूसी) के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों, तकनीकी एवं हाउसकीपिंग स्टाफ, प्रशिक्षु छात्रों तथा सॉयल कॉलोनी के निवासियों सहित कुल लगभग 45 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

यह जागरूकता अभियान जल गुणवत्ता, अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकियों तथा जल पुनर्चक्रण पद्धतियों के प्रति प्रतिभागियों की समझ बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ तथा जल अभाव की समस्या एवं सतत अपशिष्ट जल प्रबंधन के प्रति जागरूकता को सुदृढ़ करने में सहायक रहा।