रेनबो न्यूज़ इंडिया * 21 मई 2022
देहरादून: कोविड काल में इम्युनिटी बढ़ाने की आम लोगों की चाहत ने ग्राफिक एरा को दूध से नई तरह के पेय बनाने की प्रेरणा दी। नुकसान पहुंचाने वाले तमाम सॉफ्ट ड्रिंक्स की जगह पेश किए जा सकने वाले ऐसे 560 पेय तैयार करके ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने आज एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया। महज एक घंटा 15 मिनट 45 सेकेंड में ये 560 पेय तैयार कर लिये गए। 16 दिनों के भीतर ग्राफिक एरा के होटल मैनेजमेंट डिपार्टमेंट का ये दूसरा विश्व कीर्तिमान है।
कोविड से लड़ने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने की कोशिश में तरह-तरह के काढ़े पीने की लोगों की मजबूरी को इस नई पहल के जरिये बहुत खूबसूरती के साथ जायके से जोड़कर शौक में बदलने का प्रयास किया गया है। ग्राफिक एरा के होटल मैनेजमेंट के डीन डॉ आर सी पांडेय ने बताया कि शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स की जगह कोई हैल्दी ड्रिंक तैयार करने की योजना पर उसी दौर में काम शुरू कर दिया गया था। छात्र-छात्राओं को कोविड के दौर में ही दूध और छाछ से नई तरह के पेय बनाने का प्रोजेक्ट दिया गया था। उस प्रोजेक्ट में दर्जनों तरह के नए पेय सामने आये, उन्हीं पर काम करके आज 560 तरह के ये दूध उत्पाद आधारित पेय बनाये गए हैं। इन पेयों को उसी होटल मैनेजमेंट परिसर में उनके विवरण के साथ रखा जा रहा था।

होटल मैनेजमेंट के विभागाध्यक्ष अमर डबराल ने बताया कि डिपार्टमेंट के तीन शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को शामिल करके बनी टीम “स्पेशल-16” ने यह कीर्तिमान स्थापित किया है। दूध और दूध के उत्पादों से चुकंदर छाछ, सत्तु लस्सी, हर्ब छाछ, पान लस्सी, चिया सीड शेक, टर्मरिक लाते, इटेलियन हर्ब छाछ, एबोकाडो शेक, रोज मिल्क शेक, पीनट शेक, मिंट बादाम शेक, मैंगो एंड ग्रीन चिली छाछ, पिस्ता कॉफी शेक, बुरांश एंड मिंट छाछ, कुमाऊंनी मसाला छाछ, बनाना एंड चिया सीड मिल्क शेक, टैमरिंड मसाला छाछ समेत 560 तरह के ये पेय जायके के सफर को तंदरुस्ती से जोड़कर नए मुकाम देते नजर आये।
गाय, भैंस और बकरी के दूध के साथ ही सोया मिल्क और कोकोनट मिल्क का ये पेय बनाने में इस्तेमाल किया गया। विभागाध्यक्ष डबराल ने बताया कि तमाम तरह के पेय पहले बनाकर उनका परीक्षण करने के बाद उन्हें इस वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया। ऐसे हर पेय की न्यूट्रीशनल वैल्यू पर खासतौर से ध्यान दिया गया है। पेय तैयार करने में भंगजीरा, मुर्या, जम्बू बदरायणी, पहाड़ी पीला मसाला समेत गढ़वाल और कुमाऊं के प्राकृतिक उत्पादों, दादी-नानी के नुस्खों व आयातित बेरी का भी उपयोग किया गया।

ये वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली टीम में शिक्षक डॉ राकेश दानी, सिद्धार्थ जुयाल, मोहसिन खान और 16 छात्र-छात्राएं सिद्धांत सेमवाल, असीम के. मगर, अमित कोटनाला, सुदीप गुरूंग, तारुषि गोयल, रूद्राक्ष धर, कार्तिकेय पांडेय, आयुष पंवार, पंकज कुमार, चेष्ठा शर्मा, बिमल कुंअर, अदिति सवान, सबीना गुरूंग, आकाशदीप, प्रेरणा शर्मा और देव मूलचंदानी शामिल थे।
ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ कमल घनशाला ने 16 दिनों के भीतर एक नया कीर्तिमान बनाने पर टीम स्पेशल- 16 को बधाई देते हुए कहा कि कुछ नया कर गुजरने का जज्बा और उसमें कामयाबी पाने की जूजूत्सु किसी को भी लाखों के बीच अलग चमक बिखेरने वाला बना सकती है। नयी चुनौतियां स्वीकार करना और फिर उन पर विजय पाने के लिए पूरी क्षमता से जुट जाना ही सफलता की राह खोलता है। होटल मैनेजमेंट की छात्रों का किसी से कोई मुकाबला नहीं है। इन नये विश्व कीर्तिमानों से उनकी ऊर्जा और नया करने की क्षमता का अहसास होता है।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट नई टिहरी के निदेशक प्रोफेसर डॉ यशपाल नेगी व जी.आई.सी. पटेलनगर के प्रधानाचार्य देवेंद्र खत्री भी मौजूद रहे। वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने से पहले लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने इसके लिए दिन निर्धारित कर दिया था। पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग करके तमाम अन्य दस्तावेजों के साथ इसे लिम्का बुक में दर्ज कराने के लिए भेजा जा रहा है।
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