रेनबो न्यूज़ इंडिया*15 अगस्त 2022
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में विशेष कार्यबल (एसटीएफ) की जांच में परतें खुलती जा रही हैं और गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में इसके तार उत्तर प्रदेश से भी जुड़ते दिखाई दे रहे हैं ।
आयोग की भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के सनसनीखेज खुलासे से प्रदेश में मचे हड़कंप के बीच एसटीएफ अब तक एक जनप्रतिनिधि सहित 18 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है जबकि कई अन्य उसके रडार पर हैं और मामले में उनकी संलिप्तता की पुष्टि के लिए सबूत इकट्ठे किए जा रहे हैं ।
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार लगातार मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं ।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने रविवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि अब तक मामले में 18 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिसमें ताजा गिरफ्तारी उत्तरकाशी जिले के जखोल प्रखंड के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत की है ।
उन्होंने बताया कि मामले में फरार चल रहे रावत को शनिवार को एक सूचना के आधार पर हिमाचल प्रदेश की सीमा पर आराकोट बैरियर के निकट हिरासत में लिया गया और पूछताछ के लिए यहां लाया गया । उन्होंने बताया कि रावत को रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया ।
इससे एक दिन पहले उत्तरकाशी जिले के मोरी क्षेत्र के नैटवाड के राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज में तैनात व्यायाम शिक्षक तनुज शर्मा को गिरफ्तार किया गया था, जिससे पूछताछ में मिली जानकारी के बाद रावत को हिरासत में लिया गया ।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि पता चला है कि देहरादून में रायपुर क्षेत्र में स्थित एक आवास में शर्मा और रावत ने 22 अभ्यर्थियों को लीक प्रश्नपत्र हल करवाया था । इसके अलावा, परीक्षा से पहले अभ्यर्थियों को दो गाडि़यों में भरकर उत्तर प्रदेश के धामपुर में स्थित एक मकान में भी प्रश्नपत्र हल करवाने के लिए ले जाया गया था ।
उन्होंने बताया कि एसटीएफ ने उस मकान को चिन्हित कर लिया है और वहां 25-27 अभ्यर्थियों के होने की पुष्टि हुई है । इन अभ्यर्थियों को वहां प्रश्नपत्र समझाया गया और फिर उन्हें परीक्षा केंद्रों में छोडने की प्रक्रिया चली ।
सिंह ने बताया कि इसके लिए 12-15 लाख रू का भुगतान मिलता था । अभ्यर्थियों से पूर्व में भुगतान का अधिकांश भाग ले लिया जाता था और बाकी का भुगतान परीक्षा परिणाम आने के बाद लिया जाता था ।
पिछले साल चार और पांच दिसंबर को आयोग द्वारा तीन पालियों में स्नातक स्तरीय परीक्षा आयोजित की गयी थी जिसमें करीब 160000 अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था और इसमें 916 अभ्यर्थी चयनित हुये थे।
हांलांकि, परीक्षा परिणाम आने के बाद से ही इसमें धांधली के आरोप लगते रहे। इसी दौरान उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने 22 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर प्रकरण में जांच की मांग की थी ।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए पुलिस महानिदेशक ने उसी दिन रायपुर पुलिस थाने में भारतीय दंड विधान की धारा 420 के तहत मुकदमा दर्ज कराते हुए उसकी जांच तत्काल एसटीएफ को सौंप दी थी । बाद में जांच के दौरान प्रकरण में धारा 467, 468, 471, 34 की बढोत्तरी और की गयी ।
जांच के बीच, चयन आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने पांच अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जबकि शनिवार को उत्तराखंड सरकार ने आयोग के सचिव संतोष बडोनी को पद से हटा दिया ।
राज्य सरकार ने आयोग में परीक्षा नियंत्रक भी नियुक्त कर दिया है । उत्तरकाशी के बडकोट में उपजिलाधिकारी के पद पर तैनात शालिनी नेगी जल्द ही आयोग में परीक्षा नियंत्रक पद की जिम्मेदारी संभालेंगी ।
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