आजकल उच्च शिक्षा विभाग में तबादले की प्रक्रिया अपने चरम पर है। सर्वविदित है कि तबादलों का सीजन आते ही टीचरों की सांसे पहाड़ों में जाने के लिए अटकी रहती है कि कहीं प्यारे पहाड़ों को दुर्गम कहने वाले टीचरों को यह लगता है कि कहीं वहां ना जाना पड़े। उत्तराखंड राज्य की स्थापना से लेकर राज्य का दुर्भाग्य ही रहा है कि हर आदमी ने उत्तराखंड को देहरादून का घंटाघर ही समझा है। इसको बढ़ावा देने में राजनीतिज्ञों का और ब्यूरोक्रेट्स का भी खूब-खूब पूरा पूरा हाथ रहा है। लेकिन आज जब उत्तराखंड में उच्च शिक्षा विभाग ने दुर्गम से सुगम में तो कई स्थानांतरण किए, लेकिन सुगम से दुर्गम में उन्हीं लोगों को चुना जो पहले से ही दुर्गम सेवा में अपना योगदान दे चुके थे या फिर जिन्होंने उत्तराखंड राज्य की स्थापना के समय लाठी गोली डंडे खाए। शायद सरकार को भी यह समझ में आता है कि वह पहाड़ के ही लोग हैं जो इन पहाड़ों को थामें रख सकते हैं।
आज स्थानांतरण सूची देखने के बाद जब वार्ता की गई दूरभाष द्वारा यह जाना गया कि किस-किस के स्थानांतरण हुए हैं तो डॉक्टर मधु ने दूरभाष पर बताया कि वह बहुत खुश है क्योंकि उन्होंने पहले भी काशी की धरती में अपना योगदान दिया है और उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ किसी खास कारण से ही अपनी धरती में वापस बुलाते हैं और जरूर बाबा विश्वनाथ का कोई ना कोई आदेश उनके लिए रखा है। उन्होंने बताया कि सरकार को यह जोर देना चाहिए कि इस बार जो व्यक्ति जिन लोगों के घर उत्तराखंड में नहीं है दूसरे राज्यों में निश्चित रूप से कम से कम 15 साल पहाड़ों के अनेक जिलों में जाएं, वहां अपनी सेवाएं दें और उसके पश्चात ही वह राजधानी देहरादून आएं।
Transfer Welcome: Warm welcome of Dr Madhu Thapliyal on being transferred to PG College Uttarakashi . pic.twitter.com/NXDSg3UULS
— Rainbow News (@RainbowNewsUk) August 1, 2022
डॉ0 मधु थपलियाल का ढोल नगाड़ों के साथ स्थानीय जनता और छात्र-छात्राओं के द्वारा भव्य स्वागत किया गया। यही नहीं जिला उत्तरकाशी के तमाम गांव से लोग उनके स्वागत करने को तैयार खड़े थे। सुबह से ही काशी विश्वनाथ के मंदिर के प्रांगण में तैयार खड़े थे।
उच्च शिक्षा विभाग को यह निर्णय जरूर लेना पड़ेगा कि जिन शिक्षकों ने एक बार भी दुर्गम का मुंह नहीं देखा है और जो अपने चक्कर सत्ता के गलियारों में रहकर, सचिवालय के गलियारों में रह-रह कर अपना ट्रांसफर रुकवाने में लगे हैं ऐसी परंपरा को उत्तराखंड में तोड़ना होगा तभी उत्तराखंड का विकास संभव है।
आज यह भव्य स्वागत देखते हुए स्पष्ट है कि डॉ० मधु थपलियाल जैसे विद्वान शिक्षक छात्रों के लिए पूरी तरह समर्पित होते हैं। शिक्षा जगत में रहकर शिक्षा जगत को पूरे अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय पटल पर सम्मान दिलाते हैं तो बाबा भोलेनाथ उनका स्वागत अपनी पूरी बारात के साथ करते हैं।
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