कोरोना वायरस उत्पत्ति : बहस छिड़ी लेकिन सबूत अब भी कमजोर

कोरोना वायरस उत्पत्ति : बहस छिड़ी लेकिन सबूत अब भी कमजोर

रेनबो न्यूज़ * 29 अक्टूबर 2022

लंदन| (द कन्वरसेशन) सार्स-सीओवी-2 सामने आने के करीब तीन साल बाद भी हमें पुख्ता तौर पर इस बारे में नहीं मालूम कि कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस कहां से आया।

सबसे पहले वुहान विषाणु विज्ञान संस्थान के करीब यह संक्रमण फैलने से ऐसा संदेह पैदा हुआ कि यह वायरस प्रयोगशाला से लीक हुआ होगा। हालांकि ज्यादातर वैज्ञानिक कुछ किलोमीटर दूर हुआनन सीफूड बाजार में चमगादड़ों से मनुष्य के बीच इसके फैलने के पक्ष में रहे हैं। अभी तक सार्स-सीओवी-2 का कोई तत्काल पूर्वज चमगादड़ या ऐसे किसी अन्य जानवर में नहीं पाया गया है जो बाजार में बिक रहे थे।

हाल में एक अध्ययन में सार्स-सीओवी-2 जीनोम में संभवत: असामान्य अनुक्रम प्रवृत्ति की पहचान किए जाने का दावा किया गया है। ये प्रवृत्तियां ऐसे संकेत दे सकती हैं कि वायरस में किसी प्रयोगशाला में आनुवंशिक रूप से बदलाव किये गए थे।

वायरस का आधुनिक दुनिया में जैव हथियारों के तौर पर कोई अनुप्रयोग नहीं है। उन्हें बड़ी मात्रा में पैदा करना मुश्किल है। उन्हें प्रभावी होने में कई दिन लगते हैं और अगर वे मनुष्य से मनुष्य के बीच फैलने में सक्षम होते हैं तो उनके अनपेक्षित आबादी तक फैलने की संभावना होती है।

सार्स-सीओवी-2 समेत सभी जीवों के जीनोम चार अलग-अलग न्यूक्लियोटाइड (ए, टी, जी और सी) से बने हैं। ये आरएनए और डीएनए के निर्माण खंड हैं।

कोरोना वायरस जैसे बड़े वायरल जीनोम को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा जा सकता है। वैज्ञानिक ऐसा कर सकते हैं, उदाहरण के लिए यह समझने के वास्ते कि कौन-सा जीन या उत्परिवर्तन किसी वायरस के मनुष्यों तक फैलने के जोखिम को बढ़ा सकता है।

वायरल जीनोम को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटने का सही तरीका सीमित एंजाइम के साथ हैं। अध्ययन में दावा किया गया है कि सार्स-सीओवी-2 जीनोम में कुछ सीमित स्थानों (ऐसे स्थान जहां जीनोम को बांटा या जोड़ा गया हो) ‘‘असंगत’’ हैं।

बता दें कि सीमित स्थान मूक उत्परिवर्तन की अधिकता को दर्शाते हैं। ये न्यूक्लोटाइड बदलाव हैं जो वायरस के गुण-दोष पर असर नहीं डालते हैं।

आईआईएस एंजाइम का इस्तेमाल कर जीनोम को एक साथ काटने और जोड़ने पर वैज्ञानिक प्रतिबंधित स्थल के किसी भी पदचिह्न को ‘‘गोल्डन गेट असेंबली’’ नाम की पद्धति से आसानी से हटा सकते हैं।

क्या संभावनाएं हैं ?

अध्ययन में इसकी भी संभावना तलाशी गयी है कि सार्स-सीओवी-2 में प्रतिबंधित स्थलों को बांटने की प्रवृत्ति कितनी आसानी से पैदा की जा सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 के दो करीबी संबंधों से शुरू यादृच्छिक उत्परिवर्तन की प्रक्रिया का अनुकरण किया है।

इस विश्लेषण की भी आलोचना की गयी है। कोरोना वायरस उत्परिवर्तनों को एकत्रित करके स्वाभाविक रूप से प्रतिबंधित रूपांकनों को हासिल कर सकता है और गंवा सकता है।

अध्ययन में दिए गए सबूत न तो निर्णायक और न ही अंतिम हैं। अध्ययनकर्ताओं ने अपने शोध की कुछ सीमाओं को लेकर खुलकर बातचीत की है और टिप्पिणियां तथा आलोचनाएं आमंत्रित की हैं।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस के किसी प्रयोगशाला से पैदा होने का समर्थन करने वाले किसी भी सबूत पर चर्चा करना नासमझी है। चीन का कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच में सहयोग न करने का रवैया रहा है।

मेरे लिए दु:स्वप्न यह नहीं होगा कि यह दुर्घटनावश किसी प्रयोगशाला से पैदा हुआ बल्कि इसकी पुष्टि होगी कि यह प्रयोगशाला से पैदा हुआ, जिसके सबूत को आक्रामक रूप से दबा दिया गया।

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