मध्य प्रदेश के सागर में 100 करोड़ रुपये की लागत से संत रविदास का मंदिर बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को इस मंदिर की आधारशिला रखेंगे। मध्य प्रदेश के उनके प्रस्तावित दौरे से पहले इस मंदिर का 3-डी मॉडल भी सामने आया है। यह मंदिर नागर शैली में बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को सागर जिले के बड़तूमा में बन रहे संत रविदास मंदिर के निर्माण स्थल का निरीक्षण किया। चौहान ने कहा कि संत रविदास महाराज ने भारतीय संस्कृति और समरसता के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है। संत रविदास ने कर्म को महत्व दिया। वे कड़ी मेहनत से जो कुछ भी कमाते थे उसे संत सेवा और समाज को समर्पित कर देते थे। कई राजा और मीराबाई भी उनके शिष्य थे। संत रविदास वास्तव में सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे। मुख्यमंत्री चौहान ने 8 फरवरी को सागर में संत रविदास मंदिर को भव्य तरीके से बनाने की घोषणा की थी। इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।
मंदिर शोध का बड़ा केंद्र बनेगा
- संत रविदास मंदिर और कला संग्रहालय परिसर विभिन्न सुविधाओं के साथ देश-विदेश के कई साधकों, शोधकर्ताओं और भक्तों को आकर्षित करेगा। आधुनिक संसाधनों, रोशनी, पेड़-पौधों से युक्त परिसर का वातावरण आपको ज्ञान के साथ-साथ सुकून का भी एहसास कराएगा।
- 101 करोड़ की लागत से 11.21 एकड़ भूमि में संत रविदास मंदिर एवं कला संग्रहालय का निर्माण होगा। भूमि के बीच में 5500 वर्ग फीट का मुख्य मंदिर होगा, जो नागर शैली में बनाया जाएगा। मंदिर में गर्भगृह, अंतराल मंडप और अर्धमंडप बनाया जाएगा। मंदिर न केवल पूजा स्थल बनेगा बल्कि सांस्कृतिक-आध्यात्मिक संवाद का केंद्र बनेगा।
- संग्रहालय के प्रवेश द्वार के सामने एक बड़ा पानी का टैंक बनाया जाएगा। इसके पास एक विशाल गलियारा बनाया जाएगा। मंदिर के चारों ओर गोलाकार भूमि पर चार दीर्घाएँ बनाई जाएगी, जिनमें संत रविदास के जीवन को विस्तार से और आधुनिक संसाधनों की सहायता से प्रस्तुत किया जाएगा।
- संत रविदास की वाणी, उनके कार्य, सामाजिक योगदान, भक्ति आंदोलन में संत रविदास की भूमिका आदि विषयों को आधुनिक तकनीक से कलात्मक ढंग से दर्शाया जाएगा।
- दस हजार वर्ग फीट में लाइब्रेरी और संबंधित ऑडिटोरियम आकार लेगा। यहां संत रविदास जी की उपलब्धियों और शिक्षाओं को संग्रहित किया जाएगा। यहां संत रविदास जी के कार्यों के साथ-साथ आध्यात्मिक, धार्मिक पुस्तकें भी रखी जाएंगी।
- संगत सभा ब्लॉक का आकार फूल की पंखुड़ियों जैसा होगा। इस विशाल संगत सभा में संत रविदास की वाणी के साथ-साथ कई अन्य धार्मिक, आध्यात्मिक, शोध संबंधी कार्य जैसे व्याख्यान, कार्यशालाएं, सेमिनार भी होंगे।
- साथ ही यहां 12,500 वर्ग फुट का श्रद्धालु निवास बनाया जाएगा। यह क्षेत्र विश्व भर से आने वाले साधकों, भक्तों, संशोधकों, विद्वानों, यात्रियों के आवास के लिए बनाया जाएगा। इसमें एसी रूम, साफ बिस्तर, अटैच्ड बाथरूम वाले पंद्रह कमरे होंगे। पचास व्यक्तियों के लिए छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
- 15 हजार वर्ग फीट में विशाल जलपान गृह का निर्माण कराया जायेगा। डोम की डिजाइन वाले इस अल्पाहार-गृह में नाश्ते एवं विभिन्न बानगियों का भोजन परोसा जाएगा। बैठने के लिए पारंपरिक टेबल और कुर्सियों के साथ आउटडोर बैठने की व्यवस्था भी की जाएगी।
- जलपान गृह के पास दो बैठने के स्थान (गज़ेबो) बनाए जाएंगे। आगंतुक इस स्थान का उपयोग बैठने, पढ़ने, नाश्ता करने, विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए कर सकेंगे। 1940 वर्गफीट में बना यह क्षेत्र खुला रहेगा।
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