ऋषिकेश: उत्तराखंड में एम्स की तर्ज पर आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा (एआईआईए) खुलेगा। राज्य सरकार की ओर से इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया है। इस संस्थान की स्थापना के बाद राज्य में आयुर्वेद के इलाज और रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा।
उत्तराखंड में आयुर्वेद की अपार संभावनाएं हैं। इसी वजह से राज्य तेजी से वेलनेस स्टेट के रूप में उभर रहा है। देश के कई नामी संस्थान वेलनेस के सेक्टर में राज्य में निवेश कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में वेलनेस और आयुर्वेद की डिमांड और बढ़ने वाली है। दिल्ली, एनसीआर के नजदीक होने की वजह से राज्य को इस सेक्टर से बड़ा आर्थिक लाभ भी हो सकता है। ऐसे में अब सरकार राज्य में आयुर्वेद के बड़े शोध संस्थान को खोलने की योजना बना रही है।
हरिद्वार में हो सकती है स्थापना
राज्य सरकार ने पहले केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर पहाड़ में इस संस्थान को खोलने की इच्छा जताई थी।लेकिन केंद्र ने नए स्थान पर इस इंस्टीट्यूट की स्थापना की बजाए आयुर्वेद से जुड़े केंद्र में ही स्थापना का सुझाव दिया था। इसके बाद अब राज्य सरकार की ओर से आयुर्वेद विवि के हरिद्वार स्थित ऋषिकुल परिषद को आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव दिया गया है।
आल इंडिया इंस्टीट्यूट में यह सुविधाएं
उत्तराखंड में बनने वाले आयुर्वेद के आल इंडिया इंस्टीट्यूट में दिल्ली एआईआईए की तर्ज पर बीएएमएस, एमडी कोर्स के साथ ही पीएचडी की सुविधा मिलेगी। साथ ही यहां पर 200 बेड तक का अस्पताल बनेगा और उसमें आयुर्वेद की 20 अलग अलग विधाओं के उपचार की सुविधा मिलेगी। आयुर्वेद के इलाज को और अधिक प्रमाणिक बनाने के लिए क्लीनिकल ट्रायल और डेटा बेस पर भी काम किया जाएगा। हालांकि इन सभी कार्यों को संस्थान की मंजूरी के बाद चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा।
राज्य में आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा की स्थापना करने की योजना बनाई गई है। इस संदर्भ में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया गया है। केंद्र की मंजूरी के बाद इस संस्थान को लेकर आगे की कार्रवाई शुरू होगी. सरकार का प्रयास है कि आयुर्वेद के इलाज के साथ ही रिसर्च को भी बढ़ाया जाए. -डॉ पंकज पांडेय, सचिव आयुष