पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी की एक दर्जन से अधिक दवाइयों के विनिर्माण लाइसेंस निलंबित किए जाने संबंधी हाल के एक आदेश के क्रियान्वयन पर शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी गई। मामले की जांच कर रही एक उच्च स्तरीय समिति ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा कि दवाइयों के विनिर्माण का लाइसेंस निलंबित किए जाने का आदेश अवैध है और लाइसेंसिंग प्राधिकरण को इस आदेश को उस तरीके से पारित नहीं करना चाहिए था जैसे उसने किया।
कंपनियों ने SDLA के आदेश को दी थी चुनौती
प्रदेश के आयुष सचिव पंकज कुमार पांडेय ने अपने आदेश में कहा कि समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर कंपनियों के दवाइयां बनाने के लाइसेंस निलंबित करने के आदेश के क्रियान्वयन पर तत्काल प्रभाव से अंतरिम रोक लगाई जा रही है। कंपनियों ने राज्य औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण के आदेश को चुनौती दी थी। आदेश में कहा गया है कि चूंकि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किए बिना लाइसेंस निलंबित किया गया है, इसलिए समिति इस संबंध में उचित निर्णय के लिए उत्तराखंड सरकार को अपनी रिपोर्ट जमा कर रही है।
इन दवाइयों के लाइसेंस किए थे निलंबित
राज्य औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं ने 15 अप्रैल को दोनों कंपनियों द्वारा बनाई जा रहीं 14 दवाइयों के लाइसेंस निलंबित कर दिए थे। जिन दवाइयों के विनिर्माण लाइसेंस निलंबित किए गए थे, उनमें श्वसारी गोल्ड, श्वसारी वटी, ब्रोनचोम, श्वसारी प्रवाही, श्वसारी अवालेह, मुक्ता वटी एक्सट्रा पॉवर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्सट्रा पॉवर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड और पतंजलि दृष्टि आईड्रॉप शामिल थी।