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सूचना का अधिकार अधिनियम औजार है, हथियार नहीं – योगेश भट्ट

सूचना का अधिकार अधिनियम औजार है, हथियार नहीं – योगेश भट्ट

नई टिहरी प्रेस क्लब द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम पर आयोजित हुई विशेष कार्यशाला।

मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट।

कार्यशाला में सूचना के अधिकार अधिनियम की दी गई बारीकी से जानकारियां।

नई टिहरी। सूचना के अधिकार अधिनियम पर न्यू टिहरी प्रेस क्लब द्वारा विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। उत्तराखंड के सूचना आयुक्त योगेश भट्ट मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में उन्होंने अनेकों महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। कहा कि खैट पर्वत पर वर्षों पहले हेलीपैड की घोषणा कर दी गई थी। पानी के अभाव में वहां कार्यक्रम हुआ। जनता से पूछा कि क्या कभी आपने इस बाबत सूचना के अधिकार का प्रयोग किया ? खैट पर्वत में पानी की योजना अधूरी रह गई है क्यों ? यह जनता की लापरवाही भी कही जाएगी जिन्होंने अधिकार के तहत सक्षम विभाग से पूछा तक नहीं। अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं पर उन्होंने अपनी राय तथा कानून की जानकारियां प्रदान की। एक गरीब व्यक्ति के राशन प्रकरण पर मांगी का यह सूचना के परिप्रेक्ष्य में बताया कि गरीबों की मुफ्त राशन योजना के अंतर्गत जब एक निर्धन व्यक्ति को लाभ नहीं पहुंचा और सूचना के अधिकार के तहत यह प्रकरण संज्ञान में आया तो ऐसे ही जरूरतमंद लोगों को 17 क्विंटल राशन उपलब्ध करवाई गई। एक अन्य उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने एक नगरपालिका का उदाहरण प्रस्तुत किया। कहा कि सूचना के अधिकार के धारा 18 के अंतर्गत ₹25000 तक जुर्माना लगाया जा सकता है लेकिन जो क्षतिपूर्ति विभाग को करनी पड़ती है वह अनलिमिटेड है।

कार्यशाला में अनेक विद्वान व्यक्तियों ने क्वैरी भी की और अनेक प्रश्न राज्य सूचना आयुक्त से पूछे जिनका उन्होंने विस्तार से उत्तर दिया। कहा कि शासन- प्रशासन पब्लिक के लिए हैं। प्रत्येक विभाग, कार्यदायी संस्था 17 पॉइंट सेल्फ डिक्लेरेशन करे जिससे कि सूचना के आदान-प्रदान में भी सहूलियत होती है उन्होंने कहा क्या अतीत को सुधारने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। हमारे देश का सूचना का अधिकार अधिनियम विश्व के इतिहास में टॉप का कानून है। आरटीआई कानून ने लोगों को ताकत दी है और सम्मान भी। यदि अधिकार का इस्तेमाल जनता के द्वारा नहीं किया गया तो इससे समाज का अहित हो सकता है। आरटीआई हथियार नहीं क्योंकि यह टूल्स के रूप में काम करता है किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं। कभी भी इसका माइंड गेम की तरह उपयोग न करें। आरटीआई एक्टिविस्ट का कार्य किसी को डरना नहीं बल्कि जानकारियां प्राप्त प्रदान करना है। इसमें मीडिया की भी बड़ी भूमिका है। समस्त पत्रकार अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। अधिकारों के प्रति जागरूक रहना भी उत्तरदायित्व है। जनता की सरकार जनता के लिए नारों से नहीं बल्कि एक्चुअल में हो। एक अन्य प्रकरण पर बात करते हुए बताया कि एक संबंधित विभाग का अधिकारी स्वयं की तनख्वाह से 40000 खर्च करके विशाल सूचनाओं का ढेर आयोग के सामने प्रस्तुत कर दिया। जिससे उन्हें भी नुकसान हुआ और पूरे सिस्टम को भी परेशानी उठानी पड़ी। इसलिए सूचना के अधिकार अधिनियम का सम्यक ढंग से आदर हो, पालन हो और पुख्ता जानकारी होनी चाहिए।

कार्यशाला के आरंभ में अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन कर प्रेस क्लब के अध्यक्ष शशि भूषण भट्ट ने प्रेस क्लब के कार्यों तथा सूचना के अधिकार के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। तथा प्रेस क्लब महामंत्री गोविन्द पुंडीर ने मुख्य अतिथि के सम्मान में अभिनन्दन पत्र पढ़ा।
वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र दुमोगा, राजपाल सिंह मिंया, नागरिक मंच के जगजीत सिंह नेगी, सुंदर लाल उनियाल ने भी संक्षेप में अपनी बात कही। वरिष्ठ साहित्यकार सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’ ने कविता के माध्यम से सूचना के अधिकार अधिनियम को प्रस्तुत कर कार्यशाला में उपस्थित लोगों को सम्यक जानकारी के साथ-साथ मुख्य अतिथि का स्वागत भी किया।
प्रेस क्लब की ओर से राज्य सूचना आयुक्त को सॉल, प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर प्रेस क्लब के समस्त पदाधिकारी और सदस्यों के अलावा तेजराम सेमवाल, पूर्व प्रेस क्लब के अध्यक्ष गंगा थपलियाल, देवेंद्र दुमोगा, अनुराग उनियाल, जयप्रकाश कुकरेती ,डॉ राकेश गोदियाल, विक्रम कठैत, चतर सिंह चौहान, राजेंद्र अस्वाल, अपर सूचना अधिकारी भजनी भंडारी, कृष्ण स्वरूप डबराल ,धनपाल , मुकेश रतूड़ी, ज्योति डोभाल,सूर्य रमोला, प्रदीप डबराल,चंडी प्रसाद डबराल,डॉक्टर यूएस नेगी, मधुसूदन बहुगुणा आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन प्रेस क्लब महासचिव गोविंद पुंडीर ने किया।

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