देहरादून, 11 जुलाई। ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों ने नई तकनीकों से ऐसे रोगी की भी जान बचा ली, जिसे दिल्ली से जवाब देकर लौटा दिया गया था। दो महीने की यह बच्ची ब्रेन हैमरेज होने पर साउथ अफ्रीका से आई थी।
ग्राफिक एरा अस्पताल के निदेशक डॉ० पुनीत त्यागी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि दो माह की इस बच्ची की हालत बहुत बिगड़ने पर कुछ दिनों पहले दिल्ली के एक बड़े अस्पताल से जवाब देकर उसे वापस भेज दिया गया था। हताश होने के बावजूद उसके परिवारजन बच्ची को ग्राफिक एरा अस्पताल ले आये। यहां विशेषज्ञों ने जी जान लगाकर बच्ची को बचा लिया। अब जल्द ही वह डिस्चार्ज होने वाली है। डॉ० त्यागी ने बताया कि इसी तरह जन्म के समय 900 ग्राम वजन वाले शिशु को ग्राफिक एरा के विशेषज्ञों ने सुरक्षित बचा लिया है।
निदेशक डॉ० त्यागी ने बताया कि छोटे बच्चों को पेसमेकर लगाने, दिल के छेद का उपचार, नई तकनीक से हार्ट के वाल्व बदलने, जापान की तकनीक पोयम के जरिये 25 से अधिक लोगों की अवरुद्ध आहार नली खोलने, आहार नली के कैंसर का बिना चीरा लगाये उपचार करने आदि के कारण ग्राफिक एरा अस्पताल लोगों के विश्वास से जुड़ गया है। अस्पताल में कुछ ही माह में 40 बच्चों के दिल के छेद और हार्ट का वाल्व खराब होने के ऑपरेशन राष्ट्रीय बाल सुरक्षा योजना के तहत किये गये हैं। अस्पताल में बाई पास सर्जरी और विभिन्न ऐसे जटिल ऑपरेशन सफलता के साथ किये जा रहे हैं, जिनके लिए लोगों को पहले दिल्ली या दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता था।
हाल ही में देहरादून निवासी एक 60 वर्षीय बुजुर्ग को आहार नली के कैंसर की पुष्टि होने पर थोरेकोस्कोपिक तकनीक से बिना चीरा लगाये उपचार किया गया। नई टेक्नोलॉजी के जरिये इस जटिल चिकित्सा को आसान बना देने वाली ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों की इस टीम में डॉ० सचिन अरोड़ा, डॉ० दयाशंकर राजगोपालन और डॉ० कुलदीप सिंह यादव शामिल हैं।
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