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श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय ऋषिकेश परिसर में “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” पर कार्यशाला का आयोजन

श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय ऋषिकेश परिसर में “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” पर कार्यशाला का आयोजन

14 अगस्त 2024 को श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर में “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इकाई और रोवर्स-रेंजर्स के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन परिसर के निदेशक प्रो. महावीर सिंह रावत द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

अपने उद्घाटन भाषण में प्रो. महावीर सिंह रावत ने कहा कि 14 अगस्त 1947 का दिन भारत के लोगों के लिए बंटवारे की विभीषिका को याद करने का दिन है। इस दिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में घोषित किया गया है ताकि हम विभाजन के पीड़ित परिवारों की व्यथा को समझ सकें और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रयास कर सकें।

कार्यक्रम में राजनीति विज्ञान के प्रो. दिनेश शर्मा ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के चलते लाखों लोग विस्थापित हुए। विभाजन के कारण लगभग 5 से 10 लाख लोगों की मौत हुई थी। उन्होंने इस विभीषिका को मानव विस्थापन और पलायन की दर्दनाक कहानी बताया।

इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. संगीता मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि विभाजन का दर्द कभी नहीं भुलाया जा सकता। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस हमें समाज में एकता, सद्भाव और मानव सशक्तीकरण की आवश्यकता की याद दिलाता है।

कला संकाय अध्यक्ष प्रो. डीसी गोस्वामी ने भी इस दिन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 14 अगस्त 1947 की तारीख भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो आजादी के साथ-साथ विभाजन की त्रासदी को भी याद दिलाता है।

इस कार्यशाला में 167 छात्र-छात्राओं के साथ विश्वविद्यालय के कई प्रतिष्ठित प्रोफेसर और अधिकारी भी उपस्थित रहे। अंत में डॉ. पारुल मिश्रा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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