अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग ने पिछले एक वर्ष में जन्मजात हृदय रोगों से पीड़ित 40 से अधिक बच्चों का सफलतापूर्वक इलाज कर उनकी जान बचाई है। इस उपलब्धि के उपलक्ष्य में विभाग द्वारा एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों को खेल और खिलौनों से पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के दौरान, एम्स के चिकित्सकों ने अभिभावकों को जागरूक किया कि वे जन्मजात हृदय रोगों से पीड़ित बच्चों को बोझ न समझें, क्योंकि समय पर इलाज से ऐसे बच्चे भी सामान्य जीवन जी सकते हैं।
सीटीवीएस विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डाॅ. नम्रता गौड़ ने बताया कि जन्मजात हृदय रोगों में दिल में छेद होना और शरीर का रंग अचानक नीला पड़ जाना जैसे लक्षण प्रमुख हैं, जो जानलेवा हो सकते हैं। विभाग ने पिछले एक साल में ऐसे लक्षणों वाले 40 से अधिक बच्चों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। डाॅ. गौड़ ने बताया कि बच्चों का इलाज तीन साल की उम्र से पहले करना चाहिए, ताकि उनकी जान को खतरे से बचाया जा सके।
इस अवसर पर डॉ. अनीश गुप्ता ने बच्चों का स्वास्थ्य संबंधी फॉलोअप लिया और अभिभावकों को आवश्यक सलाह दी। कार्यक्रम में एम्स के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, जैसे डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव मित्तल, और विभागाध्यक्ष डाॅ. अंशुमन दरबारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में विभाग के अन्य डॉक्टरों ने भी हिस्सा लिया और जागरूकता फैलाने में सहयोग दिया।