भारतीय वायुसेना को जल्द ही पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके-1ए मिलने जा रहा है। सॉफ्टवेयर परीक्षण पूरा होने के बाद अब अंतिम चरण के परीक्षण होने हैं, जिसके बाद अक्टूबर के अंत तक यह विमान भारतीय वायुसेना को सौंप दिया जाएगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की हालिया वाशिंगटन यात्रा के दौरान तेजस एमके-1ए के इंजन आपूर्ति में देरी का मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद, जनरल इलेक्ट्रिक ने कार्यक्रम में संशोधन कर दिया है और अब नवंबर से नए जनरल इलेक्ट्रिक एफ-404 इंजन भारत को मिलने लगेंगे।
फरवरी 2021 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और भारतीय वायुसेना के बीच अनुबंध हुआ था, जिसके तहत नए विमान की आपूर्ति मार्च 2023 से शुरू होनी थी। हालांकि, सॉफ्टवेयर में बदलाव की वजह से डिलीवरी में चार महीने की देरी हो गई। पहला विमान बी श्रेणी के इंजन के साथ आएगा, जो जनरल इलेक्ट्रिक के साथ किए गए सौदे के तहत भारत को मिला था।
एचएएल द्वारा निर्मित तेजस एमके-1ए में कई उन्नत तकनीकी सुधार किए गए हैं, जिनमें डिजिटल रडार चेतावनी रिसीवर, आत्म-सुरक्षा जैमर, एईएसए रडार, और बेहतर एवियोनिक्स व वायुगतिकी शामिल हैं। इस विमान में एडवांस शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (ASRAAM) और एस्ट्रा एमके-1 मिसाइलें भी लगाई जाएंगी।
2024 से 2027 तक 83 तेजस एमके-1ए विमानों की आपूर्ति की जाएगी, जिनमें 73 लड़ाकू विमान और 10 ट्रेनर विमान होंगे। तेजस एमके-1ए में फिलहाल 50% स्वदेशी सामग्री है, जिसे 60% तक बढ़ाया जाएगा।