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पिथौरागढ़ जिले में जड़ी बूटी की खेती से जुड़ रहे किसान, पारंपरिक खेती की चुनौतियों से मिलेगी राहत

पिथौरागढ़ जिले में जड़ी बूटी की खेती से जुड़ रहे किसान, पारंपरिक खेती की चुनौतियों से मिलेगी राहत

प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में जड़ी बूटी के जरिए किसानों को आजीविका से जोड़ने की सरकार की योजनाएं लाभदायक सिद्ध हो रही हैं। सीमांत पिथौरागढ़ जिले में 250 से अधिक किसान जड़ी बूटी की खेती कर लाभ अर्जित कर रहे हैं।

जिला भेषज सहकारी संघ जड़ी बूटी को बढ़ावा देने के लिए कास्तकारों को जड़ी बूटी के बीज और पौधे उपलब्ध करा रहा है। जिला भेषज सहकारी संघ के सुपरवाइजर तरुण पांडे ने बताया कि उनके विभाग द्वारा जड़ी बूटी उत्पादन के लिए जिले को दो वर्गों- उच्च हिमालई क्षेत्र और मध्य हिमालई क्षेत्र में विभाजित किया गया है। इसके तहत जिले के उच्च हिमालई क्षेत्रों में कुटकी, गंद्रायनी, अतीस, गुग्गल, मेदा और महामेदा और मध्य हिमालई क्षेत्र में तेज पत्ता, काला जीरा, बड़ी इलायची, रीठा व समेवा का उत्पादन किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा अधिक से अधिक किसानों को जड़ी बूटी की खेती से जोड़ने के प्रयास किया जा रहे हैं। वहीं, काश्तकारों को कहना है कि परंपरागत खेती करने में उन्हें जंगली जानवरों की वजह से नुकसान झेलना पड़ता है। लेकिन जड़ी बूटी के उत्पादन में इस तरह का कोई खतरा नहीं होता और उनकी पैदावार को अच्छा भाव मिल जाता है।

वहीं, सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष में पिथौरागढ़ जिले के काश्तकारों ने करीब 3 हजार 320 कुंतल जड़ी बूटी का उत्पादन किया। इसकी एवज में किसानों को लगभग 3 करोड़ 40 लाख रुपए का भुगतान किया गया।

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