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चेतना का अभाव: जल संकट का मुख्य कारण – स्वामी चिदानन्द

चेतना का अभाव: जल संकट का मुख्य कारण – स्वामी चिदानन्द

ग्राफिक एरा में एचटूओ मूवमेंट कार्यक्रम, 14 लीटर पानी से मिल पाती है एक बोतल

देहरादून, 16 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के अध्यक्ष व आध्यात्मिक प्रमुख स्वामी चिदानन्द ने कहा कि लोगों में चेतना का आभाव जल संकट की बढ़ती समस्या के प्रमुख कारणों में से एक है। स्वामी चिदानन्द ने ग्राफिक एरा में आयोजित एचटूओ मूवमेंट-वाॅक फार वाटर कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि जल संरक्षण के लिए जीवन शैली में छोटे-छोटे बदलावों को आत्मसात करना आवश्यक है।

जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता

स्वामी चिदानन्द ने बताया कि स्वच्छ पानी की कमी देश में कई घातक बीमारियों को जन्म देती है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से पानी के संरक्षण के लिए पौधारोपण करने और तन व मन को साफ रखने का आह्वान किया।

स्टैम सेल और बोन मैरो रजिस्ट्री पर जोर

गिव लाईफ फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. बराट फिशर ने कार्यक्रम में बोन मैरो रजिस्ट्री की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पानी की तरह स्टैम सेल भी जीवन का आधार है। बोन मैरो में पाए जाने वाले स्टैम सेल विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोगी होते हैं। उन्होंने देश में बोन मैरो रजिस्ट्री की मदद से मरीजों को संभावित दाताओं से जोड़ने की सुविधा पर बल दिया।

मैती आन्दोलन और जल संरक्षण

मैती आन्दोलन के संस्थापक पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने छात्र-छात्राओं को राज्य में घटते पानी के स्रोतों की समस्या से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पानी उत्तराखंड की संस्कृति का अहम हिस्सा है, लेकिन मानव गतिविधियों के कारण हिमालय, ग्लेशियर और वनों का विनाश हो रहा है, जिससे जल संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने ईको-फ्रेंडली जीवन शैली अपनाने का आग्रह किया।

व्यापार और जल संकट का संबंध

बिसलरी के सीईओ एंजलो जोर्ज ने कहा कि जल संकट व्यापारिक गतिविधियों के लिए भी घातक साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि एक लीटर पानी की बोतल को उपभोक्ता तक पहुंचाने में 14 लीटर पानी बर्बाद होता है, और अन्य जल उत्पादों में यह संख्या और भी अधिक है। उन्होंने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ‘वाटर क्रेडिट’ का प्रस्ताव दिया और प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की सलाह दी।

जल संकट से निपटने के लिए शाकाहारी जीवन और प्राकृतिक उत्पाद

परमार्थ निकेतन ऋषिकेश की आध्यात्मिक नेता साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि दुनिया में अधिकांश लोगों की मृत्यु स्वच्छ पानी की कमी के कारण होती है। उन्होंने शाकाहारी जीवन शैली अपनाने, प्राकृतिक उत्पादों से बने कपड़ों का प्रयोग करने और जिम्मेदारी से पानी का उपयोग करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में विण्डलेस बायोटेक के चेयरमैन अशोक कुमार ने छात्र-छात्राओं से पानी के संरक्षण के लिए खुद में बदलाव लाने और आगे आकर काम करने की बात कही।

सामाजिक कार्यकर्ता व पैक्ट की संस्थापक संजना जाॅन ने ऐथिकल कनज्यूमर बनने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

छात्र-छात्राओं की भागीदारी

ग्लोबल स्कूल की छात्रा पंखुड़ी ने जल संकट पर अपने विचार साझा किए और छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुति देकर लोगों को आकर्षित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दीपशिखा शुक्ला ने किया और फैशन डिजाइन विभाग की एचओडी डॉ. ज्योति छाबड़ा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी और ग्राफिक एरा ग्लोबल स्कूल के शिक्षकों और छात्रों ने जल संकट के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए रैली निकाली और पौधारोपण किया। कार्यक्रम का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी ने मिलकर किया, जिसमें कई प्रमुख अतिथियों ने भाग लिया।

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