उत्तराखंड के टिहरी जिले में बाहरी लोगों द्वारा बढ़ती जमीन खरीद-फरोख्त को लेकर अब ग्रामीण लामबंद होने लगे हैं। चंबा और थौलधार विकासखंड के ग्रामीणों ने इस मुद्दे पर महापंचायतों का आयोजन शुरू कर दिया है, जिसके तहत ‘पैतृक भूमि बचाओ’ आंदोलन की शुरुआत हुई है। इस आंदोलन के तहत ग्रामीणों ने अपनी पैतृक जमीन बचाने और बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदने पर रोक लगाने की मांग की है।
महापंचायतों का दौर और मुहिम का विस्तार:
चंबा के तानगला में आयोजित महापंचायत में चंबा और थौलधार के करीब 3 दर्जन गांवों के ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। इन गांवों में गुल्डी, धारकोट, दिखोलगांव, कोट, इंडर, डडूर, सेलूर, बौर, बेरगणी, किरगणी, डाबरी शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाहरी लोग गांव के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ रहे हैं और ज़मीन खरीदकर उनका शोषण कर रहे हैं। अब महापंचायतों के जरिए ग्रामीण अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं और बाहरी लोगों के जमीन खरीदने पर रोक लगाने की बात कर रहे हैं।
बाहरी लोगों के जमीन खरीदने पर रोक की मांग:
ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि वे अपनी ज़मीन किसी भी बाहरी व्यक्ति को नहीं बेचेंगे। इसके अलावा, गांव के किसी व्यक्ति द्वारा भी इस प्रकार की खरीद-फरोख्त में शामिल होने पर सामाजिक स्तर पर सख्त कार्रवाई का निर्णय लिया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि बाहरी लोग उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर और झूठे वादे कर ज़मीन हथिया रहे हैं, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रवासियों की भागीदारी:
ग्रामीणों का कहना है कि वे भले ही रोज़ी-रोटी के लिए गांव से बाहर रह रहे हों, लेकिन वे अपनी पैतृक ज़मीन से गहरे जुड़े हुए हैं और इसे किसी भी कीमत पर बेचा नहीं जाएगा। युवाओं ने भी इस आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि बाहरी लोग विकास और रोजगार के सपने दिखाते हैं, लेकिन बाद में असलियत कुछ और ही निकलती है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि वह इस मामले की जांच कर कार्रवाई करे, ताकि उनके गांवों का सामाजिक और सांस्कृतिक ताना-बाना सुरक्षित रह सके।
इस आंदोलन के चलते ग्रामीण अपनी रोज़मर्रा की ज़िम्मेदारियों से समय निकालकर इस मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।