उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में लैंडफिल स्थलों पर भारी मात्रा में अनुपचारित कचरा फेंके जाने का मामला सामने आया है, जिससे पर्यावरणविदों में चिंता बढ़ रही है। नोएडा स्थित पर्यावरणविद् अमित गुप्ता द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दायर की गई एक क्वेरी से पता चला कि 2022 से 2024 के बीच कुल 49.18 टन अनुपचारित कचरा मंदिर के पास स्थित दो लैंडफिल साइटों पर डंप किया गया।
आरटीआई में उत्तराखंड सरकार द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, क्षेत्र में अनुपचारित कचरे की मात्रा में लगातार वृद्धि हुई है। 2022 में 13.2 टन, 2023 में 18.48 टन और इस वर्ष अब तक 17.5 टन कचरा उत्पन्न हुआ है। इसके अतिरिक्त, इस अवधि के दौरान 23.3 टन अकार्बनिक कचरा भी उत्पन्न हुआ, हालांकि नगर पंचायत के अनुसार इसे संसाधित या पुनर्चक्रित किया गया था।
अमित गुप्ता ने कहा, “आरटीआई के डेटा से पता चलता है कि केदारनाथ में उचित कचरा प्रबंधन प्रणाली की कमी है, जबकि यह क्षेत्र पर्यावरण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस स्थल पर ग्लेशियर भी हैं, और कचरे की समस्या से यहां का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ सकता है।”
केदारनाथ की लैंडफिल साइटें अब अपनी संतृप्ति सीमा पर पहुंच चुकी हैं। गुप्ता ने चेतावनी दी कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो भविष्य में 2013 जैसी आपदा की पुनरावृत्ति हो सकती है।