हरिद्वार के राम मिहर और उनके परिवार ने एक अभूतपूर्व मिसाल कायम करते हुए अपनी महज ढाई दिन की बच्ची का देह दान कर समाज के लिए प्रेरणा का काम किया है। बच्ची का निधन हृदय संबंधी रोग (एसफिक्सिया) के कारण हुआ था। यह देश में पहली बार है, जब इतनी कम उम्र के बच्चे का देह दान किया गया है।
हरिद्वार के डॉ. राजेंद्र सैनी ने परिवार को इस नेक कार्य के लिए प्रेरित किया। इसके बाद परिवार ने दधीचि देह दान समिति से संपर्क किया। समिति के अध्यक्ष मुकेश गोयल के सहयोग से बच्ची का शव दून मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया गया।
दधीचि समिति ने बच्ची का नाम ‘सरस्वती’ रखा। बच्ची के अंगों को दून मेडिकल कॉलेज के म्यूजियम में संरक्षित किया जाएगा। इसका उपयोग चिकित्सा शिक्षा में किया जाएगा और साथ ही यह देह दान के महत्व को समझाने के लिए एक प्रतीक के रूप में काम करेगा।
एनॉटमी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एम.के. पंत और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार मौर्य ने इसे ऐतिहासिक घटना बताया। उन्होंने कहा कि इतनी कम उम्र के बच्चे का देह दान होना बेहद दुर्लभ है। बच्ची के शरीर को संरक्षित रखने के लिए थर्मलीन लेप लगाया जाएगा ताकि इसका उपयोग लंबे समय तक हो सके।
यह घटना समाज में देह दान और अंग दान के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम करेगी। सरस्वती के रूप में यह बच्ची जीवन के बाद भी चिकित्सा क्षेत्र में योगदान देती रहेगी।
राम मिहर और उनके परिवार का यह साहसिक कदम न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है।