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इसरो रचेगा इतिहास: ‘स्पैडेक्स’ के दोनों अंतरिक्ष यान 3 मीटर की दूरी पर पहुंचे

इसरो रचेगा इतिहास: ‘स्पैडेक्स’ के दोनों अंतरिक्ष यान 3 मीटर की दूरी पर पहुंचे

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का महत्वाकांक्षी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) मिशन अपनी सफलता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसरो ने जानकारी दी है कि मिशन के तहत दोनों अंतरिक्ष यान ठीक तरीके से काम कर रहे हैं। रविवार को इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बताया कि स्पैडेक्स मिशन के तहत दोनों यान को 15 मीटर और फिर 3 मीटर की दूरी तक पास लाने का परीक्षण किया गया। डॉकिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक डेटा का विश्लेषण जारी है।

स्पैडेक्स उपग्रहों ने ली शानदार तस्वीरें और वीडियो
इसरो के मुताबिक, स्पैडेक्स उपग्रह 15 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होकर एक-दूसरे की शानदार तस्वीरें और वीडियो ले रहे हैं। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ रहा है।

पीएसएलवी-सी60 रॉकेट से हुआ सफल प्रक्षेपण
30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए दो उपग्रहों को लॉन्च किया गया। रॉकेट ने दोनों उपग्रहों को सफलतापूर्वक पृथक करते हुए एक ही कक्षा में स्थापित किया। इसरो ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर कहा, “स्पैडेक्स उपग्रहों का सफल पृथक्करण भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक मील का पत्थर है।”

डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल कर बनेगा चौथा देश
अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत अब अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बनने जा रहा है। यह तकनीक भारत के आगामी अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। डॉकिंग तकनीक का उपयोग चंद्रयान-4, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और अन्य गहरे अंतरिक्ष अभियानों में किया जाएगा।

भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया मील का पत्थर
इसरो का स्पैडेक्स मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा में न केवल तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ाएगा, बल्कि देश को अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक स्तर पर एक नया मुकाम दिलाएगा। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष यात्रा के विशिष्ट क्लब में शामिल करेगा और देश के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों को मजबूत आधार प्रदान करेगा।

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