देहरादून: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर जिले में खड़िया (सोपस्टोन) के खनन की वजह से मकानों में दरारें आने और ग्रामीणों की समस्याओं पर गंभीर रुख अपनाया है। शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 159 खनन पट्टाधारकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही राज्य सरकार को भी चार सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की खंडपीठ ने इस मामले में प्रकाशित समाचारों का स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें ग्रामीणों ने खनन के कारण उनके मकानों को हो रहे नुकसान पर शिकायत की थी। अदालत ने पहले ही बागेश्वर जिले में खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी थी।
हालांकि, प्रतिबंध के बावजूद खनन जारी रहने की जानकारी मिलने पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई और राज्य सरकार को जिम्मेदार अधिकारियों व आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
सुनवाई के दौरान, बागेश्वर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर जानकारी दी कि पुलिस ने खनन क्षेत्र में 124 पोकलेन और जेसीबी मशीनें जब्त की हैं।
उच्च न्यायालय ने खड़िया खनन पर लगे प्रतिबंध को आगे बढ़ाते हुए 14 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई निर्धारित की है। अब सभी पक्षों को अदालत में अपना पक्ष रखना होगा।