देहरादून, 4 जून 2025: उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में मृदा क्षरण और जल संरक्षण से जुड़ी समस्याएं दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही हैं। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR–IISWC), देहरादून द्वारा विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA)-2025 के अंतर्गत व्यापक क्षेत्रीय भ्रमण और किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है। यह अभियान 29 मई से 12 जून 2025 तक चलाया जा रहा है।

4 जून को संस्थान की पाँच वैज्ञानिक टीमों ने सहसपुर, विकासनगर, रायपुर, डोईवाला और भगवानपुर ब्लॉकों के 12 गाँवों का दौरा किया। टीमों ने 593 किसानों से सीधे संवाद कर क्षेत्र विशेष की समस्याओं की पहचान की और खरीफ फसलों हेतु वैज्ञानिक सलाह दी।
मुख्य समस्याएं जो सामने आईं:
- मृदा क्षरण, नमी तनाव, स्थानीय बाढ़ और जल निकासी अवरोध
- महंगे बीज, कीटनाशकों की अप्रभाविता
- सिंचाई व्यवस्था खराब, ट्यूबवेल बंद, टूटी नहरें
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुपलब्धता
- पीएम किसान योजना से कुछ किसान वंचित
ICAR-IISWC के अनुसार: उत्तराखंड का 61% भौगोलिक क्षेत्र गंभीर मृदा अपरदन से ग्रस्त है, जिसमें से 47% क्षेत्र ‘गंभीर’ से ‘अत्यंत गंभीर’ श्रेणी में आता है। यह स्थिति तत्काल मृदा संरक्षण उपायों की मांग करती है।
संस्थान द्वारा सुझाए गए प्रमुख उपाय:
- गैबियन संरचना, जल निकासी सफाई
- क्षतिग्रस्त सीढ़ीनुमा खेतों की मरम्मत
- मानसून पूर्व खरपतवार हटाना, नाइट्रोजन और पोटाश का संतुलित प्रयोग
- पौधों की मृत्यु की स्थिति में ‘गैप फिलिंग’
स्थायी समाधान हेतु उपलब्ध तकनीकें: ICAR-IISWC द्वारा विकसित तकनीकों में वर्षा जल संचयन, मिश्रित फसल प्रणाली, एकीकृत खेती, ट्रेंचिंग, जैव-प्रौद्योगिकी उपाय और धारा स्थिरीकरण शामिल हैं।
संस्थान की दृष्टि: डॉ. मधु (निदेशक) के नेतृत्व में यह अभियान डॉ. बांके बिहारी, डॉ. एम. मुरुगानंदम, श्री अनिल चौहान, इं. अमित चौहान, श्री प्रवीण तोमर और श्रीमती मीनाक्षी पंत द्वारा समन्वित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाना और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा देना है।