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ऊना के उद्योगपति महेन्द्र शर्मा बने बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सदस्य

ऊना के उद्योगपति महेन्द्र शर्मा बने बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सदस्य

देहरादून, 27 जून — उत्तराखंड सरकार ने ऊना (हिमाचल प्रदेश) के प्रख्यात उद्योगपति एवं समाजसेवी महेन्द्र शर्मा को चारधाम समेत 45 अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों के प्रबंधन की सर्वोच्च संस्था “श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति” में सदस्य नामित किया है। यह समिति चारधाम यात्रा की व्यवस्था, तीर्थ स्थलों का रखरखाव एवं श्रद्धालुओं की सुविधा से जुड़ी प्रमुख संस्था है।

राज्य सरकार के सचिव शैलेश बगौली द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, राज्य मंत्री हेमंत त्रिवेदी की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें महेन्द्र शर्मा हिमाचल प्रदेश से एकमात्र सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं। शेष 9 सदस्य उत्तराखंड से हैं।

श्री महेन्द्र शर्मा ने बताया कि बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति हर वर्ष लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं के रहने, दर्शन और अन्य व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से संचालित करती है। इस वर्ष 2 मई से प्रारंभ हुई यात्रा में अब तक रिकॉर्ड 16 लाख श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं, जिसमें सबसे अधिक 6.5 लाख श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे।

समिति न केवल यात्रा प्रबंधन करती है, बल्कि सात संस्कृत विद्यालय और एक आयुर्वेदिक फार्मेसी विद्यालय भी संचालित करती है, जहां छात्रों को निशुल्क आवास और छात्रवृत्ति दी जाती है। इसके साथ ही समिति 45 अधीनस्थ मंदिरों और 20 धर्मशालाओं का भी रखरखाव करती है।

श्री शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार अब “शीतकालीन चारधाम यात्रा” को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है, जिससे पूरे वर्ष श्रद्धालु चारधाम के शीतकालीन प्रवास स्थलों पर भगवान के दर्शन कर सकें। इससे जहां तीर्थयात्रा को नया विस्तार मिलेगा, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।

चारधामों का धार्मिक महत्व बताते हुए उन्होंने कहा:

  • बद्रीनाथ भगवान विष्णु को समर्पित है और मोक्ष धाम के रूप में विख्यात है।
  • केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे पांडवों की तपस्थली माना जाता है।
  • गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थल है, जहां राजा भगीरथ ने तप कर गंगा को पृथ्वी पर लाया।
  • यमुनोत्री यमुना नदी का स्रोत एवं देवी यमुना का निवास स्थल है।

श्री महेन्द्र शर्मा की इस नियुक्ति को उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के धार्मिक-सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है।

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