नैनीताल — गंगा नदी में अवैध खनन को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने हरिद्वार जनपद में अवैध रूप से संचालित हो रहे 48 स्टोन क्रशरों को तत्काल प्रभाव से बंद करने और उनकी बिजली-पानी की आपूर्ति काटने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने ‘मातृ सदन’ द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
मातृ सदन ने अपनी याचिका में कहा कि हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है, जिससे न केवल नदी का अस्तित्व खतरे में है बल्कि “नैशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा” जैसी महत्वाकांक्षी योजना भी विफल हो रही है। याचिका में कहा गया कि पूर्व में 3 मई को भी न्यायालय ने स्टोन क्रशरों को बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन इसके बावजूद वे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।
खंडपीठ ने माना कि यह न्यायालय के आदेशों की खुली अवहेलना है और कानून का स्पष्ट उल्लंघन है। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने हरिद्वार के जिलाधिकारी और एसएसपी को 48 क्रशरों की बिजली-पानी की आपूर्ति तत्काल काटने के आदेश दिए हैं। साथ ही न्यायालय ने इस कार्रवाई की अनुपालन रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं। अगली सुनवाई की तिथि 12 सितंबर निर्धारित की गई है।
मामले में जनहित याचिका दायर करने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा कि यह फैसला गंगा के संरक्षण के लिए एक बड़ा कदम है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब सरकार और प्रशासन पूरी गंभीरता से इस निर्णय को लागू करेंगे और भविष्य में गंगा में अवैध खनन को पूरी तरह रोका जाएगा।