माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने तकनीकी नवाचार व शैक्षणिक उत्कृष्टता के संगम को विकसित भारत@2047 की कुंजी बताया, विशेषज्ञ करेंगे शिक्षकों को भविष्य-उन्मुख शिक्षा के लिए प्रशिक्षित
ऋषिकेश, 11 अगस्त 2025:
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर द्वारा “एआई एवं एमओओसीएस के माध्यम से डिजिटल पेडागॉजी का विकास – विकसित भारत@2047 की ओर”( “AI and MOOCs in the Evolution of Digital Pedagogy for Viksit Bharat@2047”) विषय पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) का भव्य शुभारंभ आज दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने की। माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता का संगम ही भारत को विकसित भारत@2047 के लक्ष्य तक ले जाएगा। उन्होंने कहा कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब भविष्य की अवधारणा मात्र नहीं है, बल्कि यह कक्षा-कक्षों, शोध कार्यों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालयों में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब केवल एक भविष्य की कल्पना नहीं, बल्कि वर्तमान का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है, जो शिक्षण, शोध और प्रशासन सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। प्रो. जोशी ने यह भी रेखांकित किया कि एमओओसीएस (MOOCs) के माध्यम से शिक्षा की पहुँच अब भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक सीमाओं से परे हो चुकी है, जिससे समान अवसर एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे इस प्रशिक्षण के माध्यम से अपने शिक्षण में नवाचार लाकर छात्रों के सीखने के अनुभव को और अधिक प्रभावी बनाएं।
फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक एवं गणित विभागाध्यक्ष प्रो. अनीता तोमर ने स्वागत भाषण में एफडीपी की मेजबानी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा इस समय एक निर्णायक मोड़ पर है, जहां तकनीकी नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता का समन्वय आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह एफडीपी केवल व्याख्यानों की श्रृंखला भर नहीं, बल्कि एक संपूर्ण शैक्षणिक अनुभव है, जिसमें शिक्षकों को एआई आधारित शिक्षण एवं शोध उपकरण, एमओओसीएस एकीकरण की रणनीतियाँ, जनरेटिव एआई तकनीकें, डीप लर्निंग अनुप्रयोग तथा एनईपी-2020 के अनुरूप डिजिटल शिक्षा पद्धतियों से सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा, “उच्च शिक्षा आज एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है, और ऐसे समय में शिक्षकों को तकनीक-समर्थ, समावेशी तथा भविष्य-उन्मुख बनाना हमारी जिम्मेदारी है।” प्रो. तोमर ने माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी के निरंतर प्रोत्साहन, दूरदर्शी नेतृत्व एवं शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। साथ ही, उन्होंने परिसर निदेशक प्रो. एम. एस. रावत के सहयोगी मार्गदर्शन, के मूल्यवान योगदान तथा आयोजन टीम , विशेषकर डॉ. अतल बिहारी त्रिपाठी और डॉ. सीमा बनिवाल , के समर्पित प्रयासों की सराहना की।
डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस छह दिवसीय एफडीपी में देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञ प्रतिभागियों को शिक्षण में एआई उपकरणों का प्रयोग, MOOCs का प्रभावी एकीकरण, शोध में जनरेटिव एआई, तथा डिजिटल शिक्षा में नवाचार जैसे विषयों पर मार्गदर्शन देंगे। । उन्होंने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उम्मीद जताई कि यह कार्यक्रम प्रतिभागियों के लिए बौद्धिक और व्यावसायिक उन्नति का महत्वपूर्ण माध्यम सिद्ध होगा। यह सप्ताहभर चलने वाला प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षकों को बौद्धिक रूप से सक्षम, समावेशी और भविष्य उन्मुख शिक्षण वातावरण निर्मित करने में समर्थ बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है।
इस अवसर पर परिसर निदेशक प्रो. एम. एस. रावत, विज्ञान संकाय के डीन प्रो. एस. पी. सती, पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो. अतल बिहारी त्रिपाठी, सह-समन्वयक डॉ. सीमा बनिवाल, वाणिज्य संकाय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. कंचन लता सिन्हा, डॉ. गौरव वार्ष्णेय, डॉ. सुनीति कुरियाल, डॉ. प्रीति खंडूरी, विश्वविद्यालय के अन्य प्राध्यापकगण, शोधार्थी, एवं राज्यभर से आए उत्साही प्रतिभागी उपस्थित रहे। इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों में उत्साह और जिज्ञासा स्पष्ट रूप से देखने को मिली, जिससे यह संकेत मिला कि आगामी सप्ताह विश्वविद्यालय के लिए नवाचार और सीखने का एक सशक्त मंच सिद्ध होगा।