देहरादून, 13 सितंबर। संस्कृत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ० सुधा रानी पांडे ने कहा कि हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की आत्मा है। हिंदी को अपनाना ही अपने अस्तित्व, अपनी संस्कृति और अपनी पहचान को सुरक्षित रखना है।
वह आज ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में हिंदी भाषा सम्मेलन को संबोधित कर रही थी। डा. सुधा रानी ने कहा कि आज के वैश्विक दौर में अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है लेकिन मातृभाषा से दूरी बनाना मानो अपने ही अस्तित्व से दूर जाना है, जो अपनी भाषा को भूलता है, वह अपनी पहचान खो देता है।
इस अवसर पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के राज्यभाषा विभाग प्रमुख डा. सोमेश्वर पांडे ने कहा कि हिंदी आज विश्व मंच पर भारतीयता की आवाज बनकर उभर रही है। आज तकनीकी और डिजिटल युग में हिंदी का दायरा और भी व्यापक हो गया है।
कार्यक्रम का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के काव्यांजलि क्लब ने किया। कार्यक्रम का संचालन काव्यांजलि क्लब के अध्यक्ष सक्षम पंत ने किया। इस अवसर पर डॉ० सुमन नैथानी, डॉ० ए. एस. शुक्ला के साथ अन्य शिक्षा-शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
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