ग्राफिक एरा में कार्यशाला, जल संरक्षण यानी धरती, संस्कृति और पीढ़ियों को बचाने का संकल्प

ग्राफिक एरा में कार्यशाला, जल संरक्षण यानी धरती, संस्कृति और पीढ़ियों को बचाने का संकल्प

देहरादून, 11 सितंबर। पानी रखो आंदोलन के संस्थापक सच्चिदानंद भारती ने कहा कि जल संरक्षण सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह धरती, संस्कृति और आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व को बचाने का संकल्प है।

ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में गंगा संरक्षण के महत्व पर ‘अर्थ गंगा‘ नाम से कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ0 अमित आर. भट्ट ने कहा की नदियां केवल जल का स्रोत नहीं है, बल्कि वह हमारी संस्कृति, सभ्यता और जीवन की धड़कन है। भारत की कृषि व्यवस्था, लोक जीवन और सांस्कृतिक विरासत गंगा जैसी नदियों की धारा से ही सदियों से पुष्ट होती रही है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण और नदी स्वच्छता केवल सरकार और संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि देश के हर एक नागरिक का कर्तव्य है।

इस अवसर पर सच्चिदानंद भारती ने कहा कि जल को बचाना भविष्य की योजना नहीं बल्कि आज का संकल्प है। उन्होंने कहा कि युवा केवल दर्शक ना बने बल्कि जल संरक्षण की कहानी के नायक बने क्योंकि इतिहास उन्हें याद नहीं करता जिन्होंने समस्या देखी बल्कि उन्हें याद करता है जिन्होंने समाधान दिए।

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की अर्थ गंगा प्रोजेक्ट हेड डॉ० माहिया कुशलूम ने कहा कि जिस प्रकार गंगा ने अनादि काल से हमें जीवन ऊर्जा और आध्यात्मिक प्रेरणा प्रदान की है, उसी प्रकार आज हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस अमूल्य धरोहर को स्वच्छ, संरक्षित और सुरक्षित रखें। अर्थ गंगा प्रोजेक्ट हेड डॉ० गुलनार फातिमा ने छात्र-छात्राओं को गंगा संरक्षण का संकल्प दिलवाया।

इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के लिए एक भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट की दीक्षा थपलियाल ने प्रथम स्थान हासिल किया। वहीं कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट के सार्थक पुंडीर ने दूसरा और मास कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के हिमांशु बिष्ट ने तीसरा स्थान हासिल किया।

इस कार्यशाला का आयोजन प्रो. के. पी. नौटियाल ऑडिटोरियम में किया गया। यह आयोजन ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग और भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आई.आई.पी.ए) ने संयुक्त रूप से किया। कार्यशाला का संचालन डॉ० रीमा पंत ने किया। 

इस अवसर पर पर्यावरण विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ० कमल कांत जोशी, आई.आई.पी.ए के सीनियर प्रोफेसर डॉ० विनोद शर्मा, केंद्रीय भूजल बोर्ड के हाइड्रोजियोलॉजिस्ट, डॉ० विकास तोमर, यूकॉस्ट के वैज्ञानिक डॉ० भवतोष शर्मा, शिक्षाविद डॉ० रीमा पंत, प्रलाध अधिकारी के साथ अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।