देहरादून: उत्तराखंड की पहाड़ी खेती को संजीवनी देने जा रही है केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना। इस योजना के तहत राज्य के अल्मोड़ा और चमोली जिलों को चयनित किया गया है। योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादन बढ़ाने, किसानों की आय में वृद्धि करने और ग्रामीण आजीविका को मजबूत करना है।
दोनों जिलों को देश के 100 आकांक्षी कृषि जिलों की सूची में शामिल किया गया है। योजना के तहत यहां कृषि से जुड़ी समस्याओं का सर्वे कर समाधान निकाला जाएगा। विशेष रूप से, इन जिलों में कम उत्पादक भूमि, सिंचाई की कमी, बंदरों-सुअरों का उत्पात और बिखरी खेती जैसी चुनौतियों का समाधान इस योजना से होने की उम्मीद है।
दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी होंगे नोडल प्रभारी
केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए उत्तराखंड कैडर के दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। इनमें राधिका झा और आशीष जोशी का नाम शामिल है। दोनों अधिकारी अपने-अपने जिलों में योजना के क्रियान्वयन और निगरानी का जिम्मा संभालेंगे।
कृषि मंत्री गणेश जोशी बोले— “किसानों की जिंदगी बदलेगी”
राज्य के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा—
“प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना में उत्तराखंड के दो जिलों का चयन हमारे लिए गर्व की बात है। यह पहल इन जिलों को मॉडल एग्रीकल्चर डिस्ट्रिक्ट के रूप में स्थापित करेगी। प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के इस निर्णय के लिए हम आभारी हैं।”
योजना से क्या बदलेगा
- दोनों जिलों में विस्तृत कृषि सर्वेक्षण कराया जाएगा।
- मत्स्य पालन, पशुपालन, बागवानी और कृषि विविधीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।
- किसानों के लिए सिंचाई, भंडारण और ऋण सुविधा को बेहतर किया जाएगा।
- ग्रामीण आजीविका के नए साधन तैयार होंगे और पलायन में कमी आएगी।
क्या है प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित है और यह कृषि व संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित पहली योजना है।
इस योजना के तहत:
- कृषि उत्पादकता बढ़ाने,
- टिकाऊ खेती पद्धति अपनाने,
- फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देने,
- और किसानों की आय बढ़ाने पर फोकस रहेगा।
2025-26 के बजट में घोषित इस योजना पर 24,000 करोड़ रुपये का वार्षिक व्यय प्रस्तावित है। यह योजना 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ लागू की जाएगी।
ग्रामीण विकास की नई दिशा
अल्मोड़ा और चमोली दोनों पर्वतीय जिले हैं और इनमें से चमोली अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा जिला है। यहां खेती में सुधार न केवल किसानों की स्थिति बदल सकता है बल्कि पलायन रोकने में भी मददगार साबित हो सकता है।