देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की सहकारी निरीक्षक वर्ग-2/सहायक विकास अधिकारी भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। एसओजी ने उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले पिलखुवा में स्कूल चलाने वाले युवक को गिरफ्तार किया है।
फर्जी दस्तावेजों से तीन आवेदन
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी सुरेंद्र कुमार, निवासी गाजियाबाद और हापुड़, ने इस भर्ती के लिए तीन अलग-अलग आवेदन किए। हर आवेदन में पिता के नाम की अलग-अलग स्पेलिंग (सलेक, शालेक, सलीके कुमार) और अलग-अलग मोबाइल नंबर दर्ज किए। उसने फर्जी रोजगार पंजीकरण पत्र, ओबीसी प्रमाण पत्र और स्थायी निवास प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया।
जन्मतिथि और शैक्षिक प्रमाणपत्रों में बड़ा खेल
जांच में पाया गया कि आरोपी ने जन्मतिथि 1 जनवरी 1995 दर्शाई, जबकि उसके हाईस्कूल प्रमाणपत्र (2004) में जन्मतिथि 1 अप्रैल 1988 लिखी हुई है। इसके अलावा उसने 2004, 2012 और 2013 में हाईस्कूल, 2007 और 2014 में इंटरमीडिएट तथा 2010-2013 के बीच अलग-अलग तीन विश्वविद्यालयों (सीसीएस यूनिवर्सिटी मेरठ, श्रीधर यूनिवर्सिटी राजस्थान और मानव भारती यूनिवर्सिटी हिमाचल) से स्नातक पास होने के फर्जी दस्तावेज लगाए। सभी प्रमाणपत्र नकली पाए गए।
ऐसे पकड़ा गया आरोपी
उत्तराखंड में रोजगार पंजीकरण नंबर UK Code से शुरू होता है और 16 अंकों का होता है। लेकिन आरोपी के दस्तावेज UA Code से शुरू हुए और उनमें अंकों की संख्या भी कम थी। स्थायी निवास प्रमाण पत्र में भी गड़बड़ी मिली। जब इनकी तस्दीक रोजगार कार्यालय और एसडीएम कार्यालय से कराई गई तो फर्जीवाड़ा उजागर हो गया।
यूपी में असफल, फिर रची साजिश
पता चला कि आरोपी सुरेंद्र पिलखुवा में स्कूल चलाता है और वहीं पढ़ाता भी है। परिवार के कई सदस्य सरकारी नौकरी में हैं। यूपी की प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार असफल होने के बाद उसने उत्तराखंड में फर्जी दस्तावेज बनाकर नौकरी पाने की कोशिश की।
5 अक्टूबर की परीक्षा स्थगित
इस खुलासे के बाद आयोग ने 5 अक्टूबर को प्रस्तावित सहकारी निरीक्षक वर्ग-2/सहायक विकास अधिकारी की परीक्षा स्थगित कर दी है।
पेपर लीक कांड से कनेक्शन
गौरतलब है कि 21 सितंबर को हुई आयोग की परीक्षा में खालिद मलिक नामक आरोपी को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसने भी पिता का नाम बदलकर चार आवेदन किए थे और परीक्षा केंद्र से मोबाइल के जरिए प्रश्नपत्र की तस्वीरें भेजकर बाहर से उत्तर मंगाए थे। यह मामला वर्तमान में एसआईटी जांच के अधीन है।