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छात्रवृत्ति घोटाले में ईडी की बड़ी कार्यवाही, DIT यूनिवर्सिटी चेयरमैन को भेजा नोटिस

छात्रवृत्ति घोटाले में ईडी की बड़ी कार्यवाही, DIT यूनिवर्सिटी चेयरमैन को भेजा नोटिस

देहरादून। बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कार्रवाई तेज कर दी है। ईडी ने डीआईटी यूनिवर्सिटी के मालिक को नोटिस जारी करते हुए 10 दिनों के भीतर जवाब के साथ संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए कहा है। इससे पहले घोटाले से जुड़ा मामला सिडकुल थाना क्षेत्र में दर्ज किया जा चुका है।

ईडी अब तक इस मामले में कई शिक्षण संस्थानों की संपत्तियां अटैच कर चुकी है और मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कई और संस्थान जांच के दायरे में हैं।

2017 में सामने आया था घोटाला

छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा वर्ष 2017 में हुआ था। आरोप था कि वर्ष 2011-12 से 2016-17 के बीच अनेक निजी शिक्षण संस्थानों ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर एससी–एसटी छात्रों के लिए जारी करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति फर्जी तरीके से अपने खातों में डलवाई।

एसआईटी की जांच में सामने आया कि कई संस्थानों ने सैकड़ों छात्रों के फर्जी दाखिले दिखाए थे। इनमें से कई छात्रों की शैक्षिक योग्यता केवल पाँचवीं या दसवीं तक पाई गई। फर्जी छात्रों के नाम पर आई छात्रवृत्ति की राशि सीधे संस्थानों के खातों में ट्रांसफर की गई।

इसके बाद हरिद्वार के सिडकुल और देहरादून में FIR दर्ज की गई। एसआईटी ने अब तक 20 शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन और 105 अधिकारियों–कर्मचारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

ईडी की कार्रवाई जारी, डीआईटी को भेजा नोटिस

मनी लॉन्ड्रिंग की जांच पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए ईडी ने अब डीआईटी यूनिवर्सिटी के मालिकों से स्पष्टीकरण मांगा है। ईडी ने संस्थान से 2010 से 2017 तक का पूरा विवरण—

  • छात्रों के नाम
  • पते
  • बैंक खाता संख्या
  • प्राप्त हुई छात्रवृत्ति की रकम

सॉफ्ट कॉपी और हार्ड कॉपी दोनों रूपों में जमा कराने को कहा है।

ईडी कार्यालय में यह विवरण नोटिस प्राप्त होने के 10 दिनों के भीतर प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।

लगातार बढ़ रही है जांच की रफ्तार

ईडी अब तक कई संस्थानों की संपत्तियों पर कार्रवाई कर चुकी है और माना जा रहा है कि आगे और भी शिक्षण संस्थान जांच के घेरे में आ सकते हैं। छात्रवृत्ति घोटाले में करोड़ों रुपये की हेराफेरी सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में संबंधित संस्थानों पर शिकंजा कसता जा रहा है।