गैरसैंण (चमोली), 17 दिसंबर 2025:
डॉल्फिन (पीजी) इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नैचुरल साइंसेज (DIBNS), देहरादून द्वारा आज से तीन दिवसीय खगोल विज्ञान शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला “Stars Over Hills: ग्रामीण विज्ञान शिक्षकों हेतु खगोल प्रशिक्षण” का शुभारंभ राजकीय इंटर कॉलेज, गैरसैंण में किया गया। यह कार्यशाला डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट, देहरादून एवं आर्यभट्ट प्रेक्षणीय विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ARIES), नैनीताल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही है तथा इसे अंतरराष्ट्रीय खगोल संघ (IAU) – ऑफिस ऑफ एस्ट्रोनॉमी फॉर एजुकेशन (OAE) का सहयोग प्राप्त है।


इस कार्यशाला में उत्तराखंड के अत्यंत दूरस्थ एवं दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के 30 विज्ञान शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण विद्यालयों में खगोल विज्ञान शिक्षा को सुदृढ़ करना, शिक्षकों को पाठ्यक्रम आधारित, प्रयोगात्मक एवं अनुभवात्मक शिक्षण विधियों से सशक्त बनाना तथा छात्रों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और रुचि विकसित करना है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) एवं राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 (NCF 2023) की भावना के अनुरूप है।

विशेषज्ञ संसाधन व्यक्तियों द्वारा प्रशिक्षण
कार्यशाला के दौरान खगोल विज्ञान के विविध विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान एवं व्यावहारिक सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। कार्यशाला के संसाधन व्यक्ति हैं—
डॉ. वीरेंद्र यादव, वैज्ञानिक, ARIES, नैनीताल;
डॉ. आशीष रतूड़ी, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट, देहरादून;
डॉ. नितेश कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (UPES), देहरादून;
श्री मोहित पंवार, शोधार्थी, ARIES, नैनीताल; तथा
श्री अभिषेक नेगी, शोधार्थी, डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट, देहरादून।

कार्यक्रम में सौर कलंक अवलोकन, चंद्रमा की कलाएँ, ऋतुओं का खगोल वैज्ञानिक कारण, ग्रहण, तारामंडल पहचान, दूरबीन एवं ऑप्टिक्स जैसे विषयों को सरल, वैज्ञानिक एवं कक्षा-अनुकूल तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त रात्रिकालीन सत्रों में तारों, ग्रहों एवं गहन आकाशीय पिंडों का प्रत्यक्ष अवलोकन भी कराया जा रहा है, जिससे शिक्षकों को वास्तविक अनुभव प्राप्त हो सके।
पर्वतीय क्षेत्रों में विज्ञान शिक्षा को नई दिशा
डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट द्वारा प्रारंभ की गई यह कार्यशाला पर्वतीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, विद्यालय स्तर पर खगोल विज्ञान को लोकप्रिय बनाने तथा उच्च शिक्षा में मौलिक विज्ञान विषयों में नामांकन बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागी शिक्षक अपने-अपने विद्यालयों में खगोल विज्ञान से संबंधित गतिविधियों को प्रभावी ढंग से लागू कर सकेंगे, जिससे भविष्य में छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचार की भावना को बल मिलेगा।