गैरसैंण (चमोली)
डॉल्फिन (पीजी) इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नैचुरल साइंसेज (DIBNS), देहरादून एवं आर्यभट्ट प्रेक्षणीय विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ARIES), नैनीताल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय खगोल विज्ञान शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला “Stars Over Hills: ग्रामीण विज्ञान शिक्षकों हेतु खगोल प्रशिक्षण” का शुक्रवार को राजकीय इंटर कॉलेज, गैरसैंण में सफल समापन हो गया। इस कार्यशाला को अंतरराष्ट्रीय खगोल संघ (IAU) – ऑफिस ऑफ एस्ट्रोनॉमी फॉर एजुकेशन (OAE) का सहयोग प्राप्त रहा।

कार्यशाला में उत्तराखंड के दूरस्थ एवं दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों से आए 30 विज्ञान शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण का उद्देश्य ग्रामीण विद्यालयों में खगोल विज्ञान शिक्षा को सुदृढ़ करना, शिक्षकों को प्रयोगात्मक एवं अनुभवात्मक शिक्षण विधियों से सशक्त बनाना तथा छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना रहा। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के अनुरूप आयोजित किया गया।
तीन दिनों के दौरान सौर कलंक अवलोकन, चंद्रमा की कलाएँ, ऋतुओं का खगोल वैज्ञानिक कारण, ग्रहण, तारामंडल पहचान, दूरबीन एवं ऑप्टिक्स जैसे विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान एवं व्यावहारिक सत्र आयोजित किए गए। रात्रिकालीन सत्रों में प्रतिभागियों को तारों, ग्रहों एवं गहन आकाशीय पिंडों का प्रत्यक्ष अवलोकन भी कराया गया।

कार्यशाला में डॉ. वीरेंद्र यादव (वैज्ञानिक, ARIES, नैनीताल), डॉ. आशीष रतूड़ी (एसोसिएट प्रोफेसर, डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट), डॉ. नितेश कुमार (असिस्टेंट प्रोफेसर, UPES, देहरादून), श्री मोहित पंवार (शोधार्थी, ARIES, नैनीताल) तथा श्री अभिषेक नेगी (शोधार्थी, डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट) ने संसाधन व्यक्तियों के रूप में प्रशिक्षण प्रदान किया।
अपने संबोधन में डॉ. वीरेंद्र यादव ने ग्रामीण एवं पर्वतीय विद्यालयों में खगोल विज्ञान शिक्षा की आवश्यकता पर विशेष जोर देते हुए कहा कि खगोल विज्ञान छात्रों में जिज्ञासा, तार्किक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने का एक प्रभावी माध्यम है। उन्होंने कहा कि दूरदराज़ के क्षेत्रों में स्वच्छ आकाश और न्यूनतम प्रकाश प्रदूषण खगोल विज्ञान शिक्षण के लिए एक प्राकृतिक प्रयोगशाला प्रदान करते हैं, जिसका लाभ शिक्षकों और छात्रों को अवश्य उठाना चाहिए।
समापन एवं प्रमाणपत्र वितरण समारोह के मुख्य अतिथि श्री कठैत, प्रधानाचार्य, राजकीय इंटर कॉलेज, गैरसैंण रहे। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम पर्वतीय क्षेत्रों में विज्ञान शिक्षा को नई दिशा प्रदान करते हैं और शिक्षकों की शैक्षणिक क्षमता को सुदृढ़ बनाते हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागी शिक्षकों से फीडबैक लिया गया तथा सभी को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
कार्यक्रम के स्थानीय समन्वयक श्री खीम सिंह कंडारी ने सभी सहयोगी संस्थानों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
वहीं कार्यशाला के संयोजक डॉ. आशीष रतूड़ी ने चमोली जनपद के शिक्षा विभाग के अधिकारियों, विद्यालय प्रशासन, ARIES नैनीताल, IAU–OAE तथा डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने श्री भगत सिंह कंडवाल, लेक्चरर, विद्या शिक्षा केंद्र, देहरादून के प्रभावी समन्वय एवं महत्वपूर्ण सहयोग के लिए विशेष रूप से आभार व्यक्त किया।
कार्यशाला को ग्रामीण एवं पर्वतीय क्षेत्रों में विज्ञान शिक्षा को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।