क्षेत्रीय बोली/भाषा गढ़वाली में विद्वान वक्ताओं द्वारा संबोधन रहा गोष्ठी का मुख्य आकर्षण
रेनबो न्यूज़ इंडिया * 21 फरवरी 2022
श्रीनगर (गढ़वाल)। 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के पावन अवसर पर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की राजभाषा प्रकोष्ठ की ओर से एक वैब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय “अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के आलोक में मातृभाषा गढ़वाली चुनौतियां एवं समाधान” रहा।
इस शुभ अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक डॉ० गुड्डी बिष्ट द्वारा माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल जी का स्वागत करते हुए आभार प्रकट किया। डॉ० गुड्डी बिष्ट ने कहा कुलपति प्रोफेसर नौटियाल की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से दिनांक-21-2-2022 को इस कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
सर्वप्रथम समन्वयक के रूप में डॉ० गुड्डी बिष्ट ने मातृभाषा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा पर जोर दिया। शिक्षा के क्षेत्र में क्षेत्रीय भाषाओं एवं बोलियों की अभिवृद्धि हेतु विद्यार्थियों में बहुभाषिकता की कुशलता हेतु बढावा देने की बात कही। इसके पश्चात नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा के संवर्धन के लिये की गयी बातों का समर्थन किया।
मुख्य वक्ता के रूप में भाषाविद और साहित्यकार डॉ० नंदकिशोर हटवाल द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा के प्रयोग सहित विभिन्न बातों पर विचार प्रकट किए गए। खास तौर पर प्राथमिक शिक्षा में नई शिक्षा नीति का महत्व भी बताया। इसके अतिरिक्त हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में मातृभाषा और अन्य क्षेत्रीय बोली भाषाओं की अभिवृद्धि के लिए सहायक कोष तैयार करने छोटा सा प्रस्ताव भी रखा। इन बोलियों के विकास के लिये शैक्षणिक स्तर पर विभिन्न कोर्स तैयार करने की बात भी कही गई।
आमंत्रित वक्ता डॉ0 सुशील कोटनाला जी ने अपना वक्तव्य मातृभाषा ठेठ गढ़वाली में रखा जोकि सभी शोधार्थियों एवं छात्र छात्राओं द्वारा सराहा गया। गढवाली भाषा के विभिन्न पक्ष तथा अन्य भाषा की तुलना में गढवाली भाषा का प्रयोग एवं स्थिति पर विचार प्रकट किये। इसके बाद गढवाली भाषा की अनुभूति और अनुवाद की अनुभूति में अंतर बताते हुए क्षेत्रीय बोलियों के महत्व एवं आवश्यकता पर विचार प्रकट किये।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो० आर सी भट्ट प्रति कुलपति गढ़वाल विश्विद्यालय ने विश्व की विभिन्न भाषाओं की विशेषताओं पर विचार प्रकट करते हुए स्थानीय बोलियों एवं भाषाओं की पहचान पर बल दिया। उन्होंने ऐतिहासिक रूप से स्वदेशी भाषाओं के विकास एवं ह्रास पर चिंता प्रकट की। आज के इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय प्रोफेसर आरसी भट्ट जी प्रति कुलपति गढ़वाल विश्वविद्यालय ने दो महत्वपूर्ण तथ्यों को उद्घाटित किया पहला कि कनाडा के जो मूल निवासी थे उनके उन्मूलन हेतु यूरोप से गये हुए गोरों ने मिशनरी बोर्डिंग स्कूल के माध्यम से उनकी मातृभाषा से उनके बच्चों को वंचित करने का प्रयास किया तदुपरांत मातृभाषा से वंचित होते ही वह बच्चे अपनी संस्कृति एवं परिवेश से कट गए और वे मूलनिवासी यूरोपियन अंग्रेज जैसे बन गए जबकि अधिकांश छात्रों को षड्यंत्र के द्वारा मार दिया गया जिनके कंकाल अभी तक प्राप्त हो रही हैं। यह संपूर्ण विश्व के लिए एक भयावह घटना है। दूसरा तथ्य यह है कि इजरायल के मूल निवासी यह यहूदियों के द्वारा अपनी मातृभाषा हिब्रू की लिपि और साहित्य को पुनर्जीवित करने की विश्व में कार्य घटना विश्व के लिए प्रेरणादाई है।
इसके बाद कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए गढ़वाल विश्विद्यालय के कुलसचिव डॉ० अजय कुमार खंडूरी जी ने लोकभाषा एवं क्षेत्रीय भाषाओं की महत्ता पर बल देते हुए अपना व्याख्यान अपनी मातृभाषा गढ़वाली में दिया। उन्होंने उत्तराखंड की विभिन्न बोलियों के बारे में विस्तार से बताया। श्रीनगरिया गढ़वाली को मानक भाषा बताते हुए उत्तराखंड की क्षेत्रीय एवं लोक भाषाओं की संरक्षण की आवश्यकता को विचार प्रकट किये।
वैब संगोष्ठी में विदेशी छात्रों ने भी हिस्सा लिया
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की राजभाषा प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित इस वैब संगोष्ठी में विदेशी छात्रों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम में जुड़े विदेशी छात्र उत्साह पूर्वक पूरे सत्र में उपस्थित रहे। उप्साला विश्वविद्यालय, स्वीडन के छात्र डेविड ने भी आपने विचार व्यक्त किये और कार्यक्रम की प्रशंसा की।
अंत में कार्यक्रम का समापन वक्तव्य देते हुए डॉ० संजय ध्यानी उप कुलसचिव ने सभी आमंत्रित विशेषज्ञों, विद्वजनों एवं छात्रों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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